अयोध्या टाइम्स ज्योतिषचार्य
उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री बने केशव प्रसाद मौर्य भारतीय राजनीति के दक्षिण पंथी विचारधारा के तहत भारतीय जनता पार्टी से सम्बंधित हैं. ये भारतीय जनता पार्टी के बहुत जाने माने चेहरे हैं और उत्तर प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष भी हैं. साल 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में इन्होने उत्तर प्रदेश के फूलपुर से चुनाव जीता. 11 जनवरी सन 2016 में पार्टी ने अपने 12 सदस्यों को इन पर बलिया में हमला करने की वजह से पार्टी से बर्खास्त कर दिया. इसके ठीक बाद दो अन्य बड़े नेताओं पर भी मामले दर्ज हुए।
केशव प्रसाद मौर्य का जन्म और शिक्षा: केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई सन 1969 में इलाहाबाद के कौशाम्बी जिले के एक छोटे से क्षेत्र सिराथू में एक किसान परिवार में हुआ था. इनका बचपन बहुत कठिन था और इस वजह से इन्हें चाय और अखबार बेचना पड़ता था. इनके पिता का नाम श्याम लाल मौर्य और इनकी माता का नाम धनपति देवी मौर्य है. इन्होने इलाहबाद के हिन्दू साहित्य सम्मलेन से हिंदी साहित्य में स्नातक तक की पढाई की है.
केशव प्रसाद मौर्य का व्यक्तिगत जीवन: केशव प्रसाद मौर्य हिन्दू धर्मं के कुशवाहा समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं. इनके पिता एक किसान थे. इनकी पत्नी का नाम राज कुमारी देवी मौर्य है और इनको तीन संतानों का आशीर्वाद मिला है. राजनीति के साथ साथ इनका अपना व्यापार भी है और ये जीवन ज्योति क्लिनिक और हस्पातल के निर्देशक और पार्टनर हैं।
केशव प्रसाद मौर्य का राजनैतिक करियर: केशव प्रसाद मौर्य हिंदुत्व की राजनीति के लिए मशहूर हैं. ये एक लम्बे समय तक विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़े रहे. लगभग 18 साल तक इन्होने विश्व हिन्दू परिषद के लिए प्रचार किया. इसके साथ ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे. एक अच्छा खासा समय इन दो संस्थाओं में गुजारने की वजह से उनकी राजनैतिक जड़ें मजबूत होती गयीं, जिससे इन्हें राजनीति में बहुत गहराई से उतरने में मदद मिली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहने के समय इन्होने राम जन्मभूमि आन्दोलन में बहुत बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. इन्होने अपनी राजनैतिक करियर की शुरुआत ‘गरीबी संघ और ओबीसी’ की सोच का रास्ता अपनाकर की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर इन्होंने इस संस्था को और भी मजबूत किया. यद्यपि केशव प्रसाद मौर्या की पहचान कौशाम्बी के बाहर बहुत अधिक नहीं है, लेकिन इनका हिंदुत्व इमेज कई हिदू संस्थाओं में बहुत अच्छे से जाना जाता है. अपने शुरूआती करियर के दौरान ये बजरंग दल से भी जुड़े थे, और नगर कार्यवाह के पद पर काम कर रहे थे. गो- रक्षा आन्दोलन में भी इन्होने बहुत बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया, और साथ ही बीजेपी किसान मोर्चा के पिछड़ी जाति सेल में भी काम किया.
लोकसभा चुनाव में लगातार दो हार के साथ इनकी सक्रीय राजनीति की शुरुआत हुई थी. ये हार इन्हें सन 2002 और सन 2007 में मिली, इसके बाद सन 2014 में मोदी लहर में जब कई छिट- पुट नेताओं का बेड़ा पार लग रहा था. उसी समय इस लहर ने इनका भी बेड़ा पार लगा दिया और इस लोकसभा चुनाव में इन्हें जीत मिली. उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्र में कुशवाहा जाति फैली हुई है और स्थान परिवर्तन के साथ इनका उपनाम भी बदलता है. कई जगहों पर ये सैनी और सख्य के उपनाम से भी जाने जाते हैं. बीजेपी में केशव प्रसाद मौर्य का कद बढ़ने की वजह ये भी थी, कि बीजेपी में ओबीसी नेता तो कई थे मगर कुशवाहा के मौर्य जाति का कोई नेता नहीं था. मौर्य जाति की एक बहुत बड़ी संख्या उत्तरप्रदेश में होने की वजह से ये समय पर जातिगत राजनीति के बहुत काम आ सकते थे. बसपा और सपा की राजनीति का एक तोड़ यहाँ से भी निकलते देखा जा सकता है. 8 अप्रैल 2016 में भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें उत्तरप्रदेश राज्य का पार्टी प्रमुख चुना. भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इनका सदैव समर्थन किया है. इन्हें पता था कि उत्तरप्रदेश में सपा और बसपा जीतने की खास हालत में नहीं है, और यदि ऐसी परिस्थिति में भाजपा से एक ऐसे नता को चुना जाए, जो पिछड़ी जाति का हो और साथ में हिंदुत्व के नाम पर पड़ने वाले वोटों को भी सुरक्षित रखे ऐसी दशा में केशव प्रसाद मौर्य पर भरोसा करके चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में इन्हें एक बहुत अहम् भूमिका में देखा गया और इसी भूमिका को देखते हुए इन्हें उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है.
केशव प्रसाद मौर्य विवाद में
कट्टरपंथी राजनीति करने की वजह से इन्हें कई बार विवादों के घेरे में आना पड़ा. सन 2011 में इन पर इनके तीन साथियों के साथ एक गरीब किसान घुलाम गौस अलियास चंद खान की हत्या का आरोप लगा है. 21 मई 2015 में इन्हें बरी कर दिया गया और मृतक किसान के बड़े भाई ने कहा कि वो अब इस केस को बंद कर देना चाहते हैं, क्योंकि कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है और वो मौर्य के साथ दुश्मनी नहीं झेल पायेंगे, और अगर ये दुश्मनी तब हो जब वे उत्तर प्रदेश के पार्टी प्रमुख हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के समय एफिडेविट पर उन्होंने दस प-पेंडिंग पड़े केसेस का जिक्र किया था. मौर्य के अनुसार ये सारे मामले उनपर उनसे राजनैतिक दुश्मनी निकालने के लिए उनके प्रतिद्वंदियों ने दर्ज कराया है. इन मामलों में उनपर दंगे भड़काने का, अपराध सम्बन्धी सज्जिश रचने का, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने आदि के विरोध में केस दर्ज हैं.
केशव प्रसाद मौर्य की उपलब्धियां ः सन 2012 से सन 2014 तक इन्होने विधायक के तौर पर काम किया. इसके साथ 16 मई सन 2014 में इन्होने लोकसभा चुनाव को बहुत बड़े वोटिंग मार्जिन से जीत कर अपनी राजनैतिक जमीन मजबूत की. आप का भविष्य उज्जवल हो व राजनैतिक जीवन में अनेक उचांई तक पहुँचो शेष शुभ हो श्री राम चन्द्र जी से यही कमाना।
पंडित सुधांशु तिवारी - ज्योतिष चार्य- दैनिक अयोध्या टाइम्स
No comments:
Post a Comment