जयति भक्तवत्सला शारदे
जयति वीणावादिनी अम्बे।
मेघा प्रखर दे
जड़ता तू हर ले
चेतनता से भर श्वेतांबरे
जयति भक्तवत्सला शारदे
जयति वीणावादिनी अम्बे।
मयूर वाहिनी व्योम प्रसारिणी
धवल मालिका धारिणी
आलोकित कर ज्ञान दीप
सब तिमिर नष्ट कर दें
जयति भक्तवत्सला शारदे
जयति वीणावादिनी अम्बे।
विनय प्रदायिनी,मंगलकारिणी
कला हस्त धर दे
ब्रम्हपुत्री ऋतुपति विराजिनी
प्रज्जवल प्रज्ञा वर दे
जयति भक्तवत्सला शारदे
जयति वीणावादिनी अम्बे।
ज्ञान दे दो सभ्यता का
त्राण कर दो मूढ़ता से
गा सकें वैदिक ऋचाएं
हम सभी तेरी कृपा से
जयति भक्तवत्सला शारदे
जयति वीणावादिनी अम्बे।
जयति श्वेत पद्मासने
जयति भक्तवत्सला शारदे
जयति वीणावादिनी अम्बे।।
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