देश के कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपये के पार हो गया है. दिल्ली में शनिवार को पेट्रोल को करीब 91 रुपये (90.58 रुपये) तक पहुंच गया. डीजल की कीमतें भी कई शहरों में रिकॉर्ड पर चल रही हैं. ऐसे में एक बार फिर यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर सरकार टैक्स में कटौती कर रेट पर अंकुश क्यों नहीं लगा पा रही. आइए जानते हैं कि इसके पीछे मोदी सरकार की क्या मजबूरी हो सकती है।
केंद्र सरकार के अनुसार अगर पिछली सरकारों ने कच्चे तेल पर देश की निर्भरता को कम किया होता, तो देश को महंगे तेल का बोझ नहीं सहन करना पड़ता. इससे ऐसा लग रहा है कि सरकार अभी टैक्सेज में कटौती करने के मूड में नहीं है।
पेट्रोल और डीजल की आज जो रिकॉर्ड कीमतें चल रही हैं, उसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि इन पर टैक्स बहुत ज्यादा है. देश के भीतर पेट्रोल या डीजल की कीमतों के तय होने के लिए हम दिल्ली का उदाहरण लेते हैं. सबसे पहले पेट्रोल की कीमत में बेस कीमत जुड़ती है.
जैसे दिल्ली में 16 फरवरी 2021 के हिसाब से बेस कीमत 31.82 रुपये प्रति लीटर था. उसके बाद उसमें ढुलाई के 28 पैसे और जुड़ गए. इसके बाद ऑयल मार्केटिंग कंपनियां यह तेल 32.10 रुपये के भाव से डीलर्स को बेचती हैं. इसके बाद केंद्र सरकार हर लीटर पेट्रोल पर 32.90 रुपये का एक्साइज ड्यूटी ( उत्पाद शुल्क) लगाती है. इस तरह एक झटके में पेट्रोल की कीमत 65 रुपये हो जाती है. (फाइल फोटो)
इसके अलावा पेट्रोल पंप डीलर हर लीटर पेट्रोल पर 3.68 रुपये का कमीशन जोड़ता है. इसके बाद जहां पेट्रोल बेचा जाता है उसकी कीमत में उस राज्य सरकार की ओर से लगाए गए वैट या बिक्री कर को जोड़ा जाता है. उदाहरण के लिए दिल्ली में वैट का 20.61 रुपया जुड़ जाता है. इस तरह कुल मिलाकर अंत में एक लीटर पेट्रोल के लिए आम आदमी को दिल्ली में 89.29 रुपये चुकाने पड़े।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सरकार को मौजूदा वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से 3.49 लाख करोड़ रुपये हासिल होंगे. यह वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान 2.49 लाख करोड़ रुपये से 39.3 फीसदी या करीब 97,600 करोड़ रुपये ज्यादा होगा. यानी पेट्रोल और डीजल पर टैक्स से सरकार को कोरोना काल के बावजूद इस साल जबरदस्त कमाई होने वाली है.
दूसरी तरफ, कोरोना संकट की वजह से इस वित्त वर्ष में केंद्र सरकार के जीएसटी कलेक्शन और कस्टम ड्यूटी यानी सीमा शुल्क संग्रह में भारी कमी आने वाली है. एक अनुमान के अनुसार जीएसटी संग्रह में 25.7 फीसदी और कस्टम ड्यूटी में 18.8 फीसदी की गिरावट आ सकती है. यानी जीएसटी संग्रह अनुमान से 1.49 लाख करोड़ रुपये कम और कस्टम ड्यूटी अनुमान से 26,000 करोड़ रुपये कम मिल सकती है।
इसी तरह इस साल के संशोधित अनुमान के मुताबिक कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन 34.5 फीसदी घटकर 4.46 लाख करोड़ रुपये रह सकता है. इसी तरह इनकम टैक्स कलेक्शन भी अनुमान से 27 फीसदी कम होकर महज 4.59 लाख करोड़ रुपये रह सकता है. कोरोना काल में पेट्रोल-डीजल खपत में भारी कमी आने के बावजूद एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन बढ़ा है।
तो शायद यही वजह है कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने के मूड में नहीं दिख रही. यानी सरकार जीएसटी और अन्य टैक्स संग्रह में आने वाली कमी की भरपाई पेट्रोल-डीजल के टैक्स से करना चाहती है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी संसद में यह साफ किया है कि पेट्रोल-डीजल पर टैक्स पर कटौती करने का सरकार का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।
प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"
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