अप्रैल-मई 2020 में लद्दाख में भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश करने वाले चीन के सैनिक अब अपनी पुरानी चौकियों की ओर लौट रहे हैं। चट्टानी इरादों और भारतीय रणबांकुरों के शौर्य के आगे आखिरकार ड्रैगन को डरना ही पड़ा और इस तरह करीब 10 महीने से जारी भारत और चीन के बीच का सीमा विवाद अब समाप्ति की ओर बढ़ चला है। चीन अपनी विस्तारवाद की नीति के चलते दूसरे देशों की जमीन हड़पने की साजिशें रचा करता है, किंतु इस बार उसे भारत से मुंह की खानी पड़ी।
चीन की जिद के चलते इस विवाद की शुरुआत पिछले साल अप्रैल महीने में हुई थी, तब चीन ने पैंगोंग लेक के पास एलएसी को पार करने की हिमाकत की थी। चीन पुरानी एलएसी को मानने से इंकार कर रहा था और फिंगर 4 तक आ चुका था, यहां तक कि उसने वहां कैंप बनाने भी शुरू कर दिए थे। इसके बाद लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर दोनों देशों के बीच जबरदस्त तनाव पैदा हो गया। दोनों देशों ने यहां हजारों जवानों की तैनाती कर दी। दोनों देशों की फौजों के बीच झड़पें भी हुईं, गोली भी चली, हमारे 20 जवान शहीद हो गए, जबकि चीन के भी बहुत से फौजियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, लेकिन अब इस विवाद का अंत होता दिखाई दे रहा है।
वास्तव में एलएसी फिंगर 8 तक है, लेकिन चीन इसे मानने से इंकार कर रहा था। भारत ने रणनीतिक और राजनीतिक हर मोर्चे पर ड्रैगन को सबक सिखाने का सफल प्रयास किया। चीन ने जब अप्रैल में पहले वाली स्थिति लागू करने से इंकार कर दिया तो भारत ने भी एलएसी पर अपनी सेना की मौजूदगी बढ़ा दी।चीन ने जब करीब 10 हजार जवानों की तैनाती की तो भारत ने भी इतने ही जवानों को एलएसी पर लगा दिया, इतना ही नहीं मई के महीने में भारत की ओर से चीन सीमा पर टैंकों की भी तैनाती कर दी गई। सितंबर-अक्टूबर तक फौजियों की तादाद करीब 60 हजार तक पहुंच गई।
अगस्त में जब चीन के सैनिकों ने पैंगोंग सो के दक्षिणी इलाके में घुसपैठ की कोशिश की तो भारत ने इस बार करारा पलटवार किया। 29 और 30 अगस्त की रात को भारत के वीर जवानों ने साउथ पेंगोंग सो में कैलाश रेंज की मगर हिल, गुरुंग हिल, रेजांग ला, रेचिन ला, हेलमेट टॉप और ब्लैक टॉप जैसी कई अहम चोटियों पर मोर्चाबंदी कर ली। इन चोटियों पर कब्जे से चीन के रणनीतिक ठिकाने भारत के निशाने पर आ गए और उसकी अकड़ ढीली हो गई।
चीन का मोल्डो सैनिक अड्डा इन चोटियों पर बैठे भारतीय जवानों के डायरेक्ट निशाने पर था। कैलाश रेंज में दोनों देशों के सैनिक लगभग 300 मीटर की दूरी पर आमने-सामने थे। लगभग साढे 300 किलोमीटर लंबी कैलाश रेंज तिब्बत के मानसरोवर झील तक जाती है, यहां से तिब्बत और शिनजियांग को जोड़ने वाला चीन का हाईवे नंबर 219 भी ज्यादा दूर नहीं था। भारतीय जवानों के मोर्चे पर डटे रहने के कारण चीन की मुश्किलें बढ़ती जा रही थीं, अब उसकी चौकियां डायरेक्ट इंडिया के निशाने पर थीं।
इस तनाव के चलते भारत ने टाइप 15 लाइट टैंक्स, इनफैंट्री फाइटिंग व्हीकल्स, ए एच 4 हॉवित्जर गन्स, एच जे-12 एंटी टैंक्स, गाइडेड मिसाइल, एन ए आर-751 लाइट मशीनगन, डब्ल्यू-85 हेवी मशीनगन्स बॉर्डर पर तैनात कर दिए थे।उधर लद्दाख के आसमान में तेजस, राफेल, मिग, अपाचे
, चिनूक जैसे फ्लाइंग मशीन गरजते रहे, जिससे चीन को सख्त संदेश गया।
भारत ने चीन को न सिर्फ सैन्य मोर्चे पर पटकनी दी, बल्कि उसके इर्द-गिर्द ऐसा शिकंजा कस दिया कि उसके पास घुटने टेकने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचा। भारत ने ताकत के नशे में उड़ते हुए चीन को जमीन पर लाने के लिए तीन तरफा घेराबंदी की और इसी का नतीजा है कि दुनिया ने आज लाल सेना के टैंकों को उल्टे पांव लौटते हुए देखा।
पहले तो भारत ने चीन को सैन्य मोर्चे पर करारा जवाब दिया, एलएसी पर भारत ने पूरी तरह से नाकेबंदी कर दी, इसके अलावा कई चीनी ऐप पर बैन लगा दिया, साथ ही भारत के कई बड़े प्रोजेक्ट्स से चीनी कंपनियों को हाथ होना पड़ा और चीनी निवेश के मसले पर देश में भी विरोध की हवा बन गई, यही वजह रही कि सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चीन के प्रति एक अलग माहौल सा बन गया और उस पर कूटनीतिक दबाव पड़ने लगा।
चीन ने अक्टूबर में डिसइंगेजमेंट का नया प्रस्ताव भारत के सामने रखा, जिसमें चरणबद्ध तरीके से सैनिकों को पीछे हटाने का प्रस्ताव था। अपने इस नए प्रस्ताव में चीन ने स्वयं के लिए फिंगर 5 तक पीछे हटने का और भारत के लिए फिंगर 3 तक पीछे हटने का प्रस्ताव रखा था। किंतु भारत ने उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा कर यह मांग रखी कि चीन के सैनिक पेंगोंग सो में फिंगर 8 के पीछे वापस जाएं। कैलाश रेंज में भारत की स्थिति बेहद मजबूत थी और सर्दियां सिर पर थीं आखिरकार चीन फिंगर 8 से पीछे हटने को राजी हो गया। डिसइंगेजमेंट के बाद चीनी सैनिक फिंगर 8 के उस पार चले जाएंगे और भारतीय सैनिक भी फिंगर 4 से हटकर फिंगर 3 पर आ जाएंगे जहां मेजर धनसिंह थापा पोस्ट है। फिंगर 3 से लेकर फिंगर 8 तक का इलाका नो पेट्रोलिंग जोन रहेगा। दक्षिण पेंगोंग के इलाके में चीन ने कुछ निर्माण भी किए थे चीन उन्हें भी हटाएगा।
पहले तो सरकार ने फौज को खुली छूट दी और इस मसले को सैन्य लेवल पर ही सुलझाने पर जोर दिया किंतु जब सैन्य लेवल पर बात नहीं बनी तब चीन मामले के विशेषज्ञ कहे जाने वाले एनएसए अजीत डोभाल ने मोर्चा संभाला, साथ ही विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री के लेवल पर भी सरकार ने अपनी ओर से बातचीत की। केंद्र ने सर्वदलीय बैठक की और इस बीच प्रधानमंत्री ने अचानक लद्दाख का दौरा कर जवानों के हौसले बुलंद कर दिए और वहीं से यह साफ कर दिया कि अब विस्तार वाद का दौर खत्म हो चुका है।
रंजना मिश्रा ©️®️