कोई भी इंसान महान पैदा नहीं होता है, उसके विचार उसे महान बनाते हैं,विचार और काम की शुद्धता और सरलता ही महान लोगों को आम लोगों से अलग करती है, वे वही काम करते हैं, जो दूसरे करते हैं, लेकिन उनका मकसद समाज में बदलाव लाना होता है । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिन्हें प्यार से हम 'बापू' कहते हैं, महान सोच वाले एक साधारण व्यक्ति थे ,जों देशवासियों के जीवन में बदलाव लाना चाहते थे।आइंस्टीन ने तो महात्मा गांधी के बारे में कहे थे कि हमारा आने वाली नस्लें शायद ही यकीन करे कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी इस धरती पर चलता-फिरता था। एक साधारण से शरीर में विराट आत्मा के लिए ही तो दुनिया हमारे राष्ट्रपिता को ‘महात्मा’ कहती है , आज बापू का 73 वां शहादत दिवस है।आज के दिन भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर आते हैं ,साथ ही सभी गणमान्य हस्तियां गांधीजी को श्रद्धांजलि देती हैं और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदानों को हम सभी याद किया करते है। मेरे आत्मीय मित्रों देश का दुर्भाग्य ही था कि इस नेता का मार्गदर्शन हम स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अधिक समय तक नहीं पा सके और नाथूराम गोड़से नामक व्यक्ति की गोली से 30 जनवरी 1948 को गांधीजी की जीवनलीला समाप्त हो गई। साथियों वर्तमान के किसान आंदोलन हो या अन्य मुद्दों पर भी गांधी जी के विचार आज भी कहीं ना कहीं किसी ना किसी कोने से आवाज दे रही है ,हम महात्मा गांधी के सत्याग्रह को युद्ध के नैतिक विकल्प के रूप में देख सकते है। उन्होंने आम जन को यह सिखाया कि सत्याग्रह का प्रयोग समस्या तथा संघर्ष के समाधान हेतु किस प्रकार किया जाता है। गांधी का सत्याग्रह राजनीतिक मुद्दों के निवारण हेतु एक प्रभावी साधन साबित हुआ है। युद्ध और शांति, आतंकवाद, मानवाधिकार, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन, इसके साथ ही सामाजिक-राजनीतिक अशांति और राजनीतिक-प्रशासनिक भ्रष्टाचार से संबंधित समकालीन चुनौतियों में से कई को गांधीवादी तरीके से हल किया जा सकता है। अतः 21वीं सदी के लोगों के पास अभी भी गांधीवाद से सीखने के लिये बहुत कुछ सीखना बाकी है।
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