सबकी अपनी दुनियां है
किसी की हाथों में चांद पूरा
किसी की हाथों में पुड़िया है सबकी अपनी दुनियां है....
कहीं तो हर दम शोर शराबा
कहीं तो गुमसुम गुड़िया है
कहीं है सरपट रेलगाड़ी
कहीं पुरानी लढ़िया है
सबकी अपनी दुनियां है....
कहीं तो स्विमिंग पूल और गाड़ी
कहीं तो सूखी नदिया है
हाल सही में ठीक न हो पर
सभी से कहना बढ़िया है
सबकी अपनी दुनिया है......
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