*दैनिक अयोध्या टाइल्स*
धर्मेंद्र कुमार पोरवाल अहमदाबाद*
शहर के एक बड़े संग्रहालय (Museum) के बेसमेंट में कई पेंटिंग्स रखी हुई थी. ये वे पेंटिंग्स थीं, जिन्हें प्रदर्शनी कक्ष में स्थान नहीं मिला था. लंबे समय से बेसमेंट में पड़ी पेंटिंग्स पर मकड़ियों ने जाला बना रखा था.
बेसमेंट के कोने में पड़ी एक पेंटिंग पर एक मकड़ी (Spider) ने बड़ी ही मेहनत से बड़ा सा जाला बुना हुआ था. वह उसका घर था और वह उसके लिए दुनिया की सबसे प्यारी चीज़ थी. वह उसका विशेष रूप से ख्याल रखा करती थी.
एक दिन संग्रहालय (Museum) की साफ़-सफाई और रख-रखाव कार्य प्रारंभ हुआ. इस प्रक्रिया में बेसमेंट में रखी कुछ चुनिंदा पेंटिंग्स (Paintings) को म्यूजियम के प्रदर्शनी कक्ष में रखा जाने लगा. यह देख संग्रहालय के बेसमेंट में रहने वाली कई मकड़ियाँ अपना जाला छोड़ अन्यत्र चली गई.
लेकिन कोने की पेंटिंग की मकड़ी ने अपना जाला नहीं छोड़ा. उसने सोचा कि सभी पेंटिंग्स को तो प्रदर्शनी कक्ष में नहीं ले जाया जायेगा. हो सकता है इस पेंटिंग को भी न ले जाया जाये.
कुछ समय बीतने के बाद बेसमेंट से और अधिक पेंटिंग्स उठाई जाने लगी. लेकिन तब भी मकड़ी ने सोचा कि ये मेरे रहने की सबसे अच्छी जगह है. इससे बेहतर जगह मुझे कहाँ मिल पाएंगी? वह अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं थी. इसलिए उसने अपना जाला नहीं छोड़ा.
लेकिन एक सुबह संग्रहालय के कर्मचारी उस कोने में रखी पेंटिंग को उठाकर ले जाने लगे. अब मकड़ी के पास अपना जाला छोड़कर जाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं था. जाला न छोड़ने की स्थिति में वह मारी जाती. बुझे मन से उसने इतनी मेहनत से बनाया अपना जाला छोड़ दिया.
संग्रहालय से बाहर निकलने के बाद वह कई दिनों तक इधर-उधर भटकती रही. कई परेशानियों से उसे दो-चार होना पड़ा. वह बड़ी दु:खी रहा करती थी कि उसका ख़ूबसूरत घर भगवान ने उससे छीन लिया और उसे इस मुसीबत में ढकेल दिया.
वह संग्रहालय के अपने पुराने घर के बारे में सोचकर और दु:खी हो जाती कि उससे अच्छा स्थान अब उसे कभी हासिल नहीं होगा. लेकिन उसे अपने रहने के लिए स्थान तो खोजना ही था. इसलिए वह लगातार प्रयास करती रही. आखिर में एक दिन वह एक सुंदर बगीचे में पहुँची.
बगीचे में एक शांत कोना था, जो मकड़ी को बहुत पसंद आया. उसने फिर से मेहनत प्रारंभ की और कुछ ही दिनों में पहले से भी सुंदर जाला तैयार कर लिया. यह उसका अब तक का सबसे ख़ूबसूरत घर था. अब वह ख़ुश थी कि जो हुआ अच्छा ही हुआ, अन्यथा वह इतने सुंदर स्थान पर इतने सुंदर घर में कभी नहीं रह पाती. वह ख़ुशी-ख़ुशी वहाँ रहने लगी.
सीख – कभी-कभी जीवन में ऐसा कठिन समय आता है, जब हमारा बना-बनाया सब कुछ बिखर जाता है. ये हमारा व्यवसाय, नौकरी, घर, परिवार या रिश्ता कुछ भी हो सकता है. ऐसी परिस्थिति में हम अपनी किस्मत को कोसने लगते हैं या भगवान से शिकायतें करने लग जाते हैं. लेकिन वास्तव में कठिन परिस्थितियों हमारे हौसले की परीक्षा है. यदि हम अपना हौसला मजबूत रखते हैं और कठिनाइयों से जूझते हुए जीवन में आगे बढ़ते जाते हैं, तो परिस्थितियाँ बदलने में समय नहीं लगता. हमारा हौसला, हमारा जुझारूपन, हमारी मेहनत हमें बेहतरी की ओर ले जाती हैं. यकीन मानिये, हौसला है तो बार-बार बिखरने के बाद भी आसमान की बुलंदियों को छुआ जा सकता है।
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