जब मेरी याद आये चले आइये।
जी रहे हैं अभी तक तुम्हारे लिए
तुम्हारे नाम के ही सहारे लिए
हम कहाँ हैं पराये चले आइये।
आपकी चाहतों ने किया ये असर
हर तरफ तू ही तू है आता नजर
कब तलक हम बुलायें चले आइये।
गुनगुनी धूप है खुशनुमा शाम है
मेरे हर गीत में बस तेरा नाम है
बैठे हैं राह बुहारे चले आइये।
जब मेरी याद......................।
लेखन से है दोस्ती, शब्दों से है प्रीत
भावों के श्रृंगार से बन जाते हैं गीत।
विषम परिस्थिति में भी करता है जो काम
इस नश्वर संसार में , रहता उसका नाम।
कहे अँधेरा धूप से , दिन में तेरा राज
दिन ढलते इस लोक का मैं ही हूँ सरताज।
जीवन है तो मृत्यु भी, इस जग की है रीत
दुख से हो या सुख से, दिन जाते हैं बीत।
रूप,स्वरूप,अस्तित्व, सब उसका है खेल
फूलों में काँटें मिलें, कहीं जोड़ी है बेमेल।
प्रदीप बहराइची
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