दैनिक अयोध्या टाइम्स
अजय मौर्या ब्यूरो चीफ अयोध्या
चाँद दिखा, उर्स की तैयारियां मुकम्मल कोरोना संकमण में उर्स को सादगी से मनाने का एलान
कोरोना संकमण को देखते हुये इस बार उर्स मख्दूम साहब में लोगो की आमद बहुत कम होंगी जो श्रद्धालु उर्स में ना सके वह बाद में आकर ज़ियारत कर सकते है ।
रुदौली नगरी को सूफी संतों ने अपनी तपस्थली का केंद्र बनाया उनमे महान सूफी मख्दूम अब्दुल हक़ साहिबे तोशा अल्हिर्रहमा (मख्दूम साहब) बहुत मशहूर है महान सूफी संत का 604वां ऐतिहासिक उर्स 26 जनवरी से 29 जनवरी 2021 तक चलेगा। मख्दूम साहब का जन्म वर्ष 1356 में हुआ था जिनका ख़ानदानी रिश्ता हज़रत उमर से मिलता है मख्दूम साहब के पुत्र हज़रत शेख आरिफ थे जिनके शिष्य विश्वप्रसिद्ध संत अब्दुल कुद्दूस गंगोही थे जिनकी दरगाह सहारनपुर के गांगोह कस्बे में है मख्दूम साहब के पीर हज़रत जलालुद्दीन कबीरु औलिया थे जिनकी दरगाह पानीपत में है हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक मख्दूम साहब की महफ़िल में ईश्वरी चर्चा होती है उनके शागिर्दों में विशेष रूप से बख्तियार मख्दूम हैं जो उनके साथ हक़ हक़ कहते हुये चलते थे ।
मख्दूम साहब ने 6 माह तक अयोध्या के पवित्र सरयू नदी में एक पैर से खड़े होकर अल्लाह की इबादत की जिससे खुश होकर अल्लाह ने हज़रत अली के हाथो से दुआऐ हैदरी अता की ।
मख्दूम साहब की मजार मोहल्ला मख्दूम ज़ादा में स्तिथ दरगाह शरीफ में है क़दीम ख़ानक़ाह में जो महफ़िल समा होती है उसमें हिंदी फारसी, व ऊर्दू में कव्वाल गायन करते हैं। बाबा को अपने पीर हज़रत जलाउद्दीन से ख़िरका मिला जो सदियों से उसी तरह हैं
शाह आमिर तबरेज़ अहमद फ़ारूक़ी उर्फ आमिर मियां ने बताया कि कल रात को चाँद की तस्दीक हुई जिसमे शाह नोमान मियां की तरफ से क़दीम खानकाह हज़रत शैखुलआलम में गोले दगा कर बाकायदा 604वां उर्स मख्दूम अब्दुल हक़ साहिबे तोशा अल्हिर्रहमा के चार रोज़ा प्रोग्राम की शुरुआत हुई ।
चाँद दिखा, उर्स की तैयारियां मुकम्मल कोरोना संकमण में उर्स को सादगी से मनाने का एलान
कोरोना संकमण को देखते हुये इस बार उर्स मख्दूम साहब में लोगो की आमद बहुत कम होंगी जो श्रद्धालु उर्स में ना सके वह बाद में आकर ज़ियारत कर सकते है ।
रुदौली नगरी को सूफी संतों ने अपनी तपस्थली का केंद्र बनाया उनमे महान सूफी मख्दूम अब्दुल हक़ साहिबे तोशा अल्हिर्रहमा (मख्दूम साहब) बहुत मशहूर है महान सूफी संत का 604वां ऐतिहासिक उर्स 26 जनवरी से 29 जनवरी 2021 तक चलेगा। मख्दूम साहब का जन्म वर्ष 1356 में हुआ था जिनका ख़ानदानी रिश्ता हज़रत उमर से मिलता है मख्दूम साहब के पुत्र हज़रत शेख आरिफ थे जिनके शिष्य विश्वप्रसिद्ध संत अब्दुल कुद्दूस गंगोही थे जिनकी दरगाह सहारनपुर के गांगोह कस्बे में है मख्दूम साहब के पीर हज़रत जलालुद्दीन कबीरु औलिया थे जिनकी दरगाह पानीपत में है हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक मख्दूम साहब की महफ़िल में ईश्वरी चर्चा होती है उनके शागिर्दों में विशेष रूप से बख्तियार मख्दूम हैं जो उनके साथ हक़ हक़ कहते हुये चलते थे ।
मख्दूम साहब ने 6 माह तक अयोध्या के पवित्र सरयू नदी में एक पैर से खड़े होकर अल्लाह की इबादत की जिससे खुश होकर अल्लाह ने हज़रत अली के हाथो से दुआऐ हैदरी अता की ।
मख्दूम साहब की मजार मोहल्ला मख्दूम ज़ादा में स्तिथ दरगाह शरीफ में है क़दीम ख़ानक़ाह में जो महफ़िल समा होती है उसमें हिंदी फारसी, व ऊर्दू में कव्वाल गायन करते हैं। बाबा को अपने पीर हज़रत जलाउद्दीन से ख़िरका मिला जो सदियों से उसी तरह हैं
शाह आमिर तबरेज़ अहमद फ़ारूक़ी उर्फ आमिर मियां ने बताया कि कल रात को चाँद की तस्दीक हुई जिसमे शाह नोमान मियां की तरफ से क़दीम खानकाह हज़रत शैखुलआलम में गोले दगा कर बाकायदा 604वां उर्स मख्दूम अब्दुल हक़ साहिबे तोशा अल्हिर्रहमा के चार रोज़ा प्रोग्राम की शुरुआत हुई ।
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