नए साल की नई उमंगें
नई तरंगें लेकर
आओ फिर से जी लें अब हम
जीवन में रस लेकर
बीता है यह साल बहुत ही
कष्टों में हम सबका
गंवा दिया जीवन कितनों ने
मानव मन है भटका
लेकिन सब कुछ भुला नई
शुरुआत करें हम उठकर
आओ फिर से जी लें अब हम
जीवन में रस लेकर
क्या पाया है क्या खोया है
सोच बड़ा है भारी
कुदरत के दण्डों के आगे
मानवता भी हारी
फिर भी आगे बढ़ना है अब
हमको सब कुछ सहकर
आओ फिर से जी लें अब हम
जीवन में रस लेकर
हार नहीं जाना है हमको
यथा व्यथा से अपनी
हो चाहे जितनी भी भीषण
धरती लगती तपनी
गंगा जैसा पावन बनना है
हमको अब बहकर
आओ फिर से जी लें अब हम
जीवन का रस लेकर
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