दिल की आवाज सुनो राही
बंद न करना आवाजाही
आपस में गर टकराए कभी
बिन झगड़ा क्षमा करना तभी
झगड़ा कर कौन खुश हुआ है
जीत में गम दबाए हुआ है
रात बिलखती ही रहती है
दिन सहमा हुआ रहता है
अफसोस रहता है उम्र भर
दिल ने कहा था झगड़ा न कर
बात मान लिया होता अगर
तो ऐसे ना रहता उम्र भर
अब जीना दुश्वार लगता है
मरने से भी जी डरता है
उधेड़बुन में है ये राही
दिल की आवाज सुनो राही ।
✍️ ज्ञानंद चौबे
केतात , पलामू
झारखंड
No comments:
Post a Comment