क्या कहूं बहुत ही पीड़ा है
ये हृदय भयानक जलता है
इस जग में ऐसा घोर भयानक
अधम कर्म क्यों पलता है
क्यों बार-बार नारी का पावन
आंचल मैला होता है
सुन घोर भयानक कृत्यों को
पत्थर का मन भी रोता है
घनघोर अधम इन पापों का
क्या कोई भी उपचार नहीं
इन दुष्टों, नीचों, अधमों का
होता अब क्यों संहार नहीं
यूं भीड़ जुटाकर, शोक मनाकर
चुप हो जाएंगे बस हम
कुछ दिन ऐसे ही रो लेंगे
पर पाप कभी न होंगे कम
रंजना मिश्रा ©️®️
कानपुर, उत्तर प्रदेश
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