जी दोस्तों आज देखा जाए तो झूठी खबरें किसी परमाणु बम से भी ज्यादा बड़ा खतरा बनता जा रहा है। जब दोस्तों कोविड-19 से उपजी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के शुरुआती दिनों में देशव्यापी लॉकडाउन किया गया तो हम सभी ने प्रवासी मजदूरों के पलायन की तस्वीरें देखें, लेकिन अब केंद्र सरकार के मुताबिक कहा जा रहा है कि फेक न्यूज़ की वजह से ही इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर पलायन के लिए मजबूर हो गए थे मतलब की हमारे भारत के लिए आज फेक न्यूज़ सबसे बड़ा खतरा बन गया है । दोस्तों आज फेक न्यूज़ को आप तक पहुंचाने का सबसे बड़ा भूमिका सोशल मीडिया निभा रहा है, यह आप भी देख रहे हैं कि फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे ऐप फेक न्यूज़ फैलाने का माध्यम बन चुके हैं और यह किसी परमाणु बम के धमाके से भी ज्यादा खतरनाक है। आज दोस्तों इन्हीं फेक न्यूज की वजह से कई जगहों पर हम देखते हैं कि दंगे हो जा रहे हैं, किसी बड़ी हस्ती के निधन के बारे में झूठी खबर फैला दी जाती है, और तो और आज फेक न्यूज़ के वजह से ही दो देश युद्ध के करीब पहुंच जाते हैं। दोस्तों आज यह फेक न्यूज़ एक ही समय में लाखों करोड़ों लोगों को प्रभावित कर रहा है।
याद करो आप जब 1945 में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराया था, उसी प्रकार आज दोस्तों हम देख रहे हैं कि इस वैश्विक महामारी के वक्त भी कुछ अराजक तत्वों के द्वारा फेक न्यूज़ का बम गिराने का प्रयास किया जा रहा है। आप ही देखो ना जब देश में लॉक डाउन का ऐलान किया गया था तब प्रधानमंत्री जी ने कहा था जो जहां पर है वह वहीं पर रहे लेकिन कुछ अराजक तत्वों ने झूठी खबर फैला दी और अगले ही दिन दिल्ली से हजारों लोग अपने गांव जाने के निकल पड़े थे।
इस प्रकार से झूठी खबर लॉकडाउन के दौरान फैला दिया गया कि मजदूर लोग घर में रहेंगे तो खाना पानी नहीं मिलेगा और लॉकडाउन अभी बहुत लंबा चलेगा, जिसके कारण ही दोस्तों प्रवासी मजदूर लोग घबरा गए और फिर वह पलायन करने के लिए मजबूर हो गए। जिसमें हम सभी ने देखा कि बहुत से प्रवासी मजदूर अपनी मंजिल तक पहुंचने से पहले ही रास्ते में ही अपनी जान गवा बैठे कोई प्रवासी मजदूर किसी ट्रेन के नीचे दबा तो कोई मजदूर किसी ट्रक के नीचे दबकर मरा तो कहीं कहीं देखा गया कि हजारों किलोमीटर पैदल चलते हुए प्रवासी मजदूर भूखे प्यासे मारे गए, और सभी राजनैतिक दल इस विषम परिस्थिति में भी अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे थे।
दोस्तों हमारे भारत में लगभग 4 करोड़ प्रवासी मजदूर है, यह वह लोग हैं जो अपने घर से दूर किसी और राज्य में जाकर नौकरी किसी कंपनी में करते हैं। अब आप ही सोचो इस लॉकडाउन के दौरान लगभग 75 लाख मजदूर वापस अपने घर लौट चुके है यानी कि हर 5 प्रवासी मजदूरों में से एक वापस अपने राज्य वापस चला गया है। दोस्तों याद रखना आज फेक न्यूज़ से सिर्फ दंगे ही नहीं हो रहे हैं बल्कि इस फेक न्यूज़ के कारण किसी देश की अर्थव्यवस्था और समाज को भी काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। आजकल देखो ना बड़े देश इसी तरीके का युद्ध कर रहे हैं जिसे आप हाइब्रिड युद्ध भी कह सकते हैं। देखने में आता है कि जिस देश को लक्ष्य बनाकर फेक न्यूज़ का यह हमला किया जाता है उसमें उस देश का मीडिया विपक्षी नेता और विपक्षी बुद्धिजीवी सभी शामिल होते हैं। लेकिन इसमें नुकसान देश के आम जनता और निचले दबे कुचले प्रवासी मजदूरों को ही होता है।
आप सभी से आज मैं विनम्र निवेदन करके अनुरोध कर रहा हूं कि किसी खबर को तब तक शेयर ना कीजिए जब तक आप उसकी सच्चाई को लेकर पूरी तरह भरोसा ना कर ले, मतलब कहने का मेरा है कि आंख बंद करके किसी अटैचमेंट को डाउनलोड या ओपन न करें और अगर आपने किसी भड़काने वाली खबर को शेयर किया तो इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के आर्टिकल 66 -A के के तहत आपको 3 साल की जेल भी हो सकती है। यह बात आप को डराने के लिए मैंने नहीं कहा बल्कि 137 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में आज फेक न्यूज़ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बनती जा रही है, इसलिए हम सभी का यह नैतिक जिम्मेदारी है कि ऐसे झूठी खबरों को आप ना फैलने दे नाही फैलाएं।।
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