संविधान की संरचना लोकतांत्रिक व धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था पर आधारित है।
खेतासराय(जौनपुर):- पीपुल्स अवेयरनेस फोरम के जनरल सिकरेट्री व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जेड0के0 ने पत्रकारों से वार्तालाप के दौरान देश के संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यों पर टिप्पणी करतते हुए कहा कि अयोध्या शिलान्यास कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी असंवैधानिक है संविधान की संरचना धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है। और धर्मनिरपेक्षता शब्द स्पष्ट रूप से इसके शुरुआती शब्दों में लिखा गया है। जिसे प्रधानमंत्री द्वारा शपथ ली गई है।
उन्होंने कहा कि यह सच है कि अतीत में मोदी जी आरएसएस के सदस्य रहे उन्होंने मस्जिद को शहीद करने और उसके स्थान पर मंदिर बनाने के संघर्ष में भाग लिया। लेकिन अब वह इस देश के प्रधानमंत्री हैं और प्रधानमंत्री किसी एक वर्ग या धर्म के नहीं हैं। ऐसे में उन्होंने अयोध्या जाकर मन्दिर बनवना और एक मन्दिर की आधारशिला रखना, सरकार की पूरी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था के खिलाफ है।
उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि लेकिन यहां सांप्रदायिकता आंखें मूंदे हुए है इसलिए मोदी जी को नफरत फैलाने के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।श्री फैज़ान ने याद किया कि स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा जी जब वह मुंबई में एक सरकारी भवन के उद्घाटन के अवसर पर केंद्र सरकार में संचार मंत्री थे, उन्होंने धार्मिक संस्कारों के अनुसार मौके पर नारियल जलाने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, या तो इस इमारत का उद्घाटन सभी धर्मों के धार्मिक संस्कारों से होगा या किसी के अनुसार नहीं होगा।
5 अगस्त को शिलान्यास कार्यक्रम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक धार्मिक मुद्दा है। लेकिन अब यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि मंदिर बनाने का तरीका स्पष्ट है। इस शिलान्यास का आग्रह क्या था। कोरोना महामारी समाप्त होने के बाद भी काम किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि एक तरफ लॉकडाउन इतना गंभीर था कि मुसलमानों को ईद के मौके पर एक बार में पांच से अधिक लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति नहीं थी। दूसरी ओर अयोध्या में एक भीड़ इकट्ठा हो रही है। जिसमें देश के प्रधानमंत्री भी भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण आज देश में करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं।
सरकार लोगों की नाराजगी से बचने के लिए इस तरह की चालाक रणनीति का सहारा ले रही है। देश की आर्थिक व्यवस्था अराजक हो गई है। उन्होंने कहा कि पहले तब्लीगी जमात, फिर सरकार पाकिस्तान और चीन और अब अयोध्या में शालीनता जैसे मुद्दों का प्रचार करके लोगों का ध्यान वास्तविक मुद्दे से हटाने की कोशिश कर रही है। यह सबसे बड़ी शर्म की बात है। मुद्दा यह है कि पिछले एक पखवाड़े से मीडिया उसी चीज और प्रसारण में व्यस्त है। जैसे कि मुसलमान अभी भी इसे बाधित करने में सक्रिय हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ऐसे कार्यक्रमों का एक नियमित हिस्सा है। प्रसारण जो मुसलमानों के जख्मों को सलाम कर रहा है और यह आपसी भाईचारे और देश के हित में नहीं है
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