जनसंख्या दिवस का उद्देश्य है कि बढ़ती जनसंख्या को रोकने का प्रयास किया जाए। जिसके लिए हमें समय-समय पर बढ़ती जनसंख्या के नुकसान ओ की जानकारी दी जाती है ताकि हम यहां समझे की बढ़ती जनसंख्या हमारे लिए क्यों रोकना आवश्यक है किंतु इसके बावजूद भी हमारे देश की जनसंख्या प्रत्येक वर्ष तेजी से बढ़ती जा रही है एक और जहां हम एक बड़ी जनसंख्या वाला देश होने के कारण खुद पर गर्व का अनुभव करते हैं क्योंकि हमारे देश में युवाओं की जनसंख्या अन्य किसी देश की जनसंख्या से अधिक है वहीं दूसरी और यही बढ़ती हुई जनसंख्या हमारे लिए परेशानियां भी बन रही है। बेरोजगार लोगों का बढ़ता आंकड़ा और बढ़ती ग़रीबी जनसंख्या की ही देन है। अधिक जनसंख्या के चलते हमारे संसाधन कम पड़ जाते हैं। जिसकी वज़ह से हम एक विकसित शक्तिशाली देश बनने का सपना जो देखते हैं, उसमें रुकावट पैदा होती है। बेरोजगारी और ग़रीबी अपराधों को बढ़ाती है। लोगों का जीवन असुरक्षित हो जाता है। स्त्रियों को सबसे अधिक अपराधों का शिकार होना पड़ता है। विचार करिए कोरोनावायरस ने किस तरह हमारी और हमारे सिस्टम की पोल खोली हैं। हमारे पास अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं केवल दिल्ली जैसे कुछ गिने चुने अस्पतालों में है। जबकि क्यूबा हम से गरीब देश होने के बावजूद भी अपने सभी नागरिकों को देश की सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। वहीं दूसरी ओर मजदूरों को हजारों किलोमीटर का सफर पैदल तैं करना पड़ा। यदि हमारी भी जनसंख्या इतनी अधिक ना होती तो क्या हम केवल एक आंकड़ा बन कर मत दाता बन कर नहीं रह जाते। हमारा महत्व होता एक जीवन के रूप में आवश्यकता है हमें यह समझने की कि देश ख़तरे में है, हमारी बढ़ती जनसंख्या के विस्फोटक के कारण। हमें धर्म और जाति की परवाह करते हुए अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने का प्रयास करने के स्थान पर कम-से-कम बच्चे पैदा करने पर जोर देना चाहिए। देश के बारे में विचार करिए, अभी कोशिश करने का समय है नहीं तो वक़्त गुज़र जाने पर पछताने के सिवा कुछ हाथ नहीं लगेगा।
राखी सरोज
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