प्रकृति की यह उपहार
नदी की नीर
धरती को शीतल करे
वह ठंडी समीर
गूंजे गीत पर्वत - पहाड़
मनोबल बढ़ाए हिमालय की विशाल फैलाव
नवचर की गीत गूंजे तीर
भानु की यह ऊर्जा
तन बने ऊर्जा वीर
धरती की यह बाग बगीचे में
गूंजे नवचार गीत
उषा की वह संतुलित तप
गिरे बादल नीर
और नाचे मोर
नजारा ही देख लागे
सुंदर यह प्रकृति की उपहार
खिले बाग बगीचे की सुंदर सुमन
सुगंधित होवे
मन की यह छीन
दोष को दोस्त बनाए
यह सुमन की महान वीर
यह प्रकृति की उपहार समझिए
और समझिए धरती माता की उपहार।
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