धन,दौलत,ऐश्वर्य का क्यों
गर्व करे तू इंसान,
कुछ नही टिकता यहां
सब अस्थायी इस जहान।
सिकन्दर विश्व विजेता
बना बहुत महान,
परन्तु सत्य यही ना लेजा सका
इक तिनका भी दूसरे जहान।
केवल अपने कर्मों से ही
हुआ कोई भी महान
याद सभी करते उसके गुण
और करते सदैव गुणगान।
अफसोस! यही हम फिर भी
करते निंदा,कपट,ईर्ष्या होकर नादान
"रजत" जिसने तजा इन दुर्गुणों को
अवश्य ही हो जायेगा वो महान।
रुपेश कुमार श्रीवास्तव "रजत"
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