मन के हारे हार है,मन के जीते जीत,
राह में हों चाहे कठिनाई बहुत ही,
लेकिन हम सबको साथ चलना होगा।
राह में हों चाहे काँटे बिछे,
लेकिन हम सबको काँटों पर ही चलना होगा।
राह में भले हो अंधकार बहुत ही,
लेकिन हमें मन का दीप जलाना होगा।
राह में हों चाहे भटकाव बहुत से,
लेकिन हमें मंज़िल को केन्द्र बनाना होगा।
यूँ ही हम सबको मिलकर साथ चलना होगा,
यूँ ही हम सबको जीवन सफल बनाना होगा
कठिन डगर पर,कठिन मार्ग पर,
हार कभी ना मानेंगे हम,
चलते चलते यूँ ही एक दिन,
जीवन सफल बना लेंगे हम।
मुसाफ़िर हूँ मुझे अकेले ही,
जीवन पथ पर आगे बढ़ना है।
मुसाफ़िर हूँ मुझे अकेले ही ज़िंदगी की,
तमाम उलझनों को सुलझाना है।
मुसाफ़िर हूँ मुझे अकेले ही अपना पथ,
उज्ज्वलित कर जीवन में आनंद लाना है,
जीवन सफल बना ले राही।
अभिव्यक्ति-ज्योति रानी
प्रशिक्षित स्नातक शिक्षिका
के.वि.मुजफ्फरपुर
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