पढ़ लिख कर जग में ऊँचा नाम करे।
बढ़ते रहे पथ पर भारत विजय भाव भरे।
ज्ञान ज्योति फैलाए तम का नाश करे।
बढ़ते रहे पथ पर भारत विजय भाव भरे।
अवगुण दूर हो सद्गुण का संचार करे।
बढ़ते रहे पथ पर भारत विजय भाव भरे।
परहित रहे भावना दया भाव हृदय धरे।
बढ़ते रहे पथ पर भारत विजय भाव भरे।
निर्बल गरीब दीन दु:खी पर उपकार करे।
बढ़ते रहे पथ पर भारत विजय भाव भरे।
देश हित रहे तैयार मातृभूमि का सम्मान करे।
बढ़ते रहे पथ पर भारत विजय भाव भरे।
मिल जुल कर रहे हृदय से प्रेम रस झरे।
बढ़ते रहे पथ पर भारत विजय भाव भरे।
ब्रह्मानंद गर्ग "सुजल"
जैसलमेर(राज.)
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