हमारे देश भारत का हाल के दशकों में धीरे-धीरे अंतराष्ट्रीय सोपान पर ऊपर चढ़ता जा रहा है और इसके कारण विश्व की एक प्रमुख महाशक्ति के रूप में इसका वैश्विक प्रभाव भी नजर आने लगा है पिछ्ले चार दशकों में चीन एक जबर्दस्त ताकत के रूप में उभरकर सामने आया है और इसके साथ - साथ भारत ने भी काफी ऊँचाईयाँ हासिल कर ली है ।
इसके कारण विश्व की आर्थिक शक्ति का केंद्र यूरोप और अमेरिका से हटकर एशिया की ओर स्थानांतरित होने लगा है और साथ ही साथ एशिया की इन दोनों महाशक्तियों के उभरने के कारण सच्चे अर्थों में एशिया- शताब्दी की शुरुआत होने लगी है ।
परन्तु उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है । परंतु इन सबके बावजूद भारत विश्वशक्ति और कूटनीति चतुरता से आगे निकलता दिख रहा है जिसका परिणाम यह हुआ की मात्र 48 घन्टे में ही रूस के विचार का परिवर्तन करवा देना ।
अभी 48 घंटे पहले तक रूस भी यही बोल रहा था की :- जो देश चीन में जांच की बात करेगा ....? "रूस" उस देश की भी " जांच " करेगा , लेकिन अमेरिका ने जहां एक तरफ से अपने सारे सहयोगी देशों को "एकजुट" किया .....वहीं - "रूस" को मनाने की "जिम्मेदारी" हमारे देश "भारत" को दी गई ...और -- आज की बैठक में "रूस" ने - "चीन" के कदमों के निचे से "जमीन" हटा दी .... और जांच से सम्बंधित-- आस्ट्रेलिया के प्रस्ताव का --"co-sponcer" बन गया , ... बहुत बड़ी "कूटनीतिक जीत" है, "भारत" की ।
इसकी "कल्पना" भी असम्भव थी ? साथ ही अमेरिका समेत - सारे "पश्चिमी देश" , भारत की इस बात के लिए "प्रशंसा" कर रहे हैं, और आज "भारत" दुनिया की "इकलौती" वह "महाशक्ति" है:- जिसके "अमेरिका और रूस" से समान "घनिष्ट सम्बन्ध " है । जो अपने दम पर इन दोनों देशों की " विदेश नीति " को बदलवाने की "क्षमता" रखता है ।
क्या कभी आपने कल्पना की थी कि :- भारत उस स्थिति में होगा ? जहां "रूस" जैसा देश ...अपनी " विदेश नीति " या "वैश्विक नीति " .... भारत के कहने पर मात्र "48 घंटे के अन्दर "...पूरी तरह , पलट दे ? "भारत " ने यह कर दिखाया है । हाल ही में "चीन- रूस" के "समर्थन" के दाम पर,भारत के सीमा क्षेत्रों में "चहल कदमी" कर रहा था । भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा था , लेकिन आज भारत ने " विश्व मंच" पर चीन को "अकेला" और " एक किनारे " कर दिया है । आज की जो घटना है इसके बाद से -- "पकिस्तान में बेचैनी और बौखलाहट" बेहद ज्यादा बढ़ जाएगी । उनके ऊपर "अस्तित्व " का संकट बन जाएगा । क्योकिं भारत अब चीन के कर्मो की सजा पकिस्तान को देना शुरु करेगा और चीन के खिलाफ यह पहली " कूटनीतिक जीत" भारत की हुई है । शायद यह "भारत के इतिहास में " सबसे बड़ी कूटनीतिक जीत में से एक गिनी जाएगी ।
जहां आज लगभग-- दुनिया के 123 छोटे- बड़े देश--" भारत" के साथ खड़े हैं ।
भारत में परिवर्तन IIT के जरिये दुनिया भर के विद्वानों को विभिन्न विचारों का आदान- प्रदान करने का मौका देता है , हर प्रकाशित लेखों का हिन्दी अनुवाद CASI के वेबसाइट के अलावे The Hindu : Business Line में प्रकाशित होते हैं । समसामयिक वैश्विक राजनीति में भारत की बढ़ती भुमिका का एक कारण आर्थिक क्षेत्र में उसकी सफलता है ।1990 से लेकर अब तक 6.5% की उल्लेखनीय औसत वृध्दि दर बनाये रखने के कारण भारत के सतत विकास की गति जापान, जर्मनी और रूस जैसे बड़े अर्थवयवस्था वाले देशों से भी आगे बढ़ रही है । 2018 में $10.5 बिलियन डाॅलर की GDP (PPP) के साथ भारत की अर्थव्यवस्था अब चीन और अमेरिका के बाद विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है ।अगले बीस वर्षो में भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाली है ।
निश्चय ही भारत एक सौम्य देश है,समस्याओं को हल करने में धीरज से काम लेता है और अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर भी सबको साथ लेकर चलने की कोशिश करताहै , फिर भी चुनौतियों का सामना करने और गम्भीर मुद्दों को हल करने की उसकी समझ महाशक्ति के रूप में बहुत उपयोगी सिद्ध होगी ।
जिस तरह से भारत चुनौतियों का सामना करता है, उसकी राजनीतिक समझ और सोच भारत के साथ - साथ पूरे विश्व के लिए कारगर हो रहीं हैं ।
आज भारत के साथ जो विश्व के 123 देश खड़े हैं और भारत के विचारों का पालन और स्वागत कर रहे हैं उसमें कहीं न कहीं प्रत्येक भारतवासी का योगदान है ।
आप सभी भारतीयों को -- इस "विजय" की शुभकामनाएं और ऐसे सशक्त नेतृत्व को भी प्रणाम ।
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