सोमवार से लॉकडाउन का चौथा चरण शुरू किया गया होना भी चाहिए जिस प्रकार से कारोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है और संक्रमण के फैलाव के खतरे को देखते हुए लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाने के फैसले पर हैरानी की बात नहीं है चौथे चरण में कामकाज के सिलसिले में अन्य लोगों की भी आवाजाही बढ़ेगी आवाजाही को आसान करना समय की मांग है क्योंकि इसके बगैर आर्थिक व्यापारिक गतिविधियों को बल मिलने वाला नहीं है और अगर छूट नहीं दी जाएगी तो अर्थव्यवस्था का नुकसान होगा व इससे रोजी-रोटी की समस्या गंभीर रूप ले लेगी और कह सकते हैं ले चुकी है जो गरीब , प्रवासी मजदूर ,मध्यमवर्ग है इनके साथ तो बहुत बड़ी संकट है लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि लॉकडाउन के चौथे चरण में तमाम तरह की छूट मिलने के साथ ही एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखने और सेहत के प्रति सावधानी बरतने की आवश्यकता और भी बढ़ गई है दोस्तों दुनिया भर में इस समय कोरोना नाम की महामारी कोहराम मचाया हुआ है अमेरिका -चीन में शीत युद्ध जैसी हालात है दुनिया के सभी ताकतवर देश इस वायरस के सामने बेबस नजर आ रहे हैं लेकिन इतिहास के पन्नों को पलटते है हम तो देखते 1918 में भी एक वायरस ने भयानक तबाही मचाई थी इस वायरस का नाम था स्पेनिश फ्लू इस महामारी से साल 1918 में दुनियाभर के 50 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हुए थे और करीब 2-5 करोड़ लोगों की जान चली गई थी दोस्तों दुनिया भर में लोगों की मौत के ये आंकड़े प्रथम विश्व युद्ध में मारे गए सैनिकों व नागरिकों की कुल संख्या से ज्यादा थी दोस्तों इस तरह की संक्रामक बीमारी या महामारी का पूरी दुनिया में फैलने का एक चरण होता है इस तरह की संक्रामक बीमारियां पूरी दुनिया में एक साथ नहीं फैलती यह पहले किसी एक देश में शुरू होती है फिर वहां से दूसरे देश में लोग आ जाते हैं वहां संक्रमण होता है फिर वहां से तिसरे देश में लोग जाते हैं इसी तरह कई चरणों में पूरी दुनिया में ऐसी महामारी फैलती है इसी प्रकार कोरोना वायरस भी चीन के वुहान शहर से निकलकर धीरे -धीरे आज सभी देशों में फैल चुका है दोस्तों स्पेनिश फ्लू के कारण भारत में भी कम से कम 1 करोड़ ,30 लाख से अधिक लोगों ने जान गवाई थी उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन था अंग्रेजों की समझ में पहले नहीं आया कि इस पर कैसे कंट्रोल किया जाए फिर अंग्रेजों ने बहुत से स्थानीय और जातिगत संगठनों को मोबिलाइज किया और राहत संबंधी काम करने में उनकी मदद ली जमीन से जुड़े उस वक्त इस तरह के संसाधनों ने पूरे देश में स्पेनिश फ्लू पर काबू पाने के लिए एक साथ आकर अंग्रेज सरकार की मदद की फिर गांधी जी जैसे नेता जमीन से जुड़े इन संगठनों की मदद से राष्ट्रीय आंदोलन पैदा करने में कामयाब हुए इसी तरह दोस्तों इस वैश्विक महामारी में भी केंद्र और राज्य सरकारों के आपसी सहयोग एवं समाजिक संगठनों के साथ मिलकर ही हम इस वैश्विक महामारी से छुटकारा पाएंगे दोस्तों संवैधानिक राज्य के तहत संघवाद की हिफाजत और राज्यों के साथ विश्वास बहाली के लिए जरूरी है कि अंतरराज्यीय परिषद को सक्रिय किया जाए कुछ राज्यों ने पिछले दिनों केंद्र पर अत्यधिक दबाव डालने और सलाह के अनुसुनी के आरोप लगाए थे दोस्तों एक -दूसरे के सहयोग के साथ ही हम इस वैश्विक महामारी से निजात पा सकते हैं संविधान के अनुच्छेद 263 के जरिए ऐसी प्रविधि के लिए रास्ता बनाया गया है जहां केंद्र और राज्य आपसी समन्वय को सुदृढ़ कर सकें और केंद्र -राज्य संबंधों पर सरकारिया आयोग की रिपोर्ट के बाद 1990 में राष्ट्रपति के आदेश के जरिए अंतरराज्य परिषद के गठन को मंजूरी मिली थी जिसमें अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री और सदस्यों के रुप में सभी राज्यो और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री मिलकर किसी भी समस्या का निपटारा राष्ट्रहित में कर सकते हैं भारत की विशालता विविधता और व्यापकता को देखते हुए और आज के प्रतिस्पर्धी और राजनीतिक -आर्थिक रूप से संवेदनशील माहौल में सभी राज्यों के लिए एक सी नीतियां एक सा फैसला लागू नहीं किया जा सकता हो सकता है किसी राज्य के लिए फैसला सही हो लेकिन दूसरे के लिए हितों से टकराता हो इससे दोस्तों संघवाद की भावना पर ही असर पड़ेगा दोस्तों दुनिया के कई अहम देशों के भूगोल से भी बड़े नक्शे वाले भारत किसी भी समन्वित करवाएगी में सभी राज्यों को बराबर के भागीदार बनाना चाहेगा और इस वैश्विक महामारी में सभी राज्यों को एक साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए हमें इस वैश्विक महामारी से लड़ना है और हर एक नागरिक का भी कर्तव्य है कि अपने आस -पड़ोस कोई भी वंचित तबका दिखे जरूरतमंद दिखे जिसको आपकी जरूरत हो उसका मदद आप हर संभव करें यह हर एक नागरिक का नैतिक जिम्मेवारी है l
कवि विक्रम क्रांतिकारी(विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक)
No comments:
Post a Comment