घर के अंदर भी एक दुनिया थी
जहां मां बिना कहे समझ जाती थी
जहां दादी-नानी की लोरियां थी
वह दुनिया सबसे प्यारी थी
स्कूल से पहले भी एक दुनिया थी।
जहां पढ़ना-लिखना,बातें करना सीखा
डांट खाकर हंसना, बिना बात के रोना सीखा
वह दुनिया भी सबसे प्यारी थी
शादी से पहले भी एक दुनिया थी
जहां कॉलेज की मस्ती, यारी दोस्ती थी
मिल गई मोहब्बत तो कसमें खूब खाई थी
वह दुनिया सबसे प्यारी थी
बुढ़ापे से पहले भी एक दुनिया थी
जहां मां-बाप, बच्चों संग पत्नी थी
पर अब रिश्ते-नातों में वो बात नहीं थी
वह दुनिया सबसे प्यारी थी
रचयिता- प्रकाश कुमार खोवाल जिला-सीकर राजस्थान
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