जागरूक रहें जिले के किसान, अपनाएं बचाव के तरीके-सीडीओ शशांक त्रिपाठी
टिड््डी दलों के सम्भावित हमले को लेकर जिला प्रशासन द्वारा तैयारियां तेज कर दी गईं हैं। शनिवार को मुख्य विकास अधिकारी शशांक त्रिपाठी ने विकास भवन सभागार में कृषि, गन्ना, उद्यान, भूमि संरक्षण विभाग के अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिकों तथा चीनी मिलों के महाप्रबन्धकों के साथ बैठक कर टिड्डी दलों से बचाव की रणनीति पर चर्चा की तथा सभी सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने विभाग के माध्यम से किसानों को जागरूक करें तथा टिड्डियों के हमले से निपटने के लिए हर स्तर पर तैयारी कर लें।
मुख्य विकास अधिकारी श्री त्रिपाठी ने बताया कि प्रदेश से लगे सीमावर्ती राज्यों जैसे राजस्थान ,मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के झांसी आदि जनपद मंे वर्तमान समय मे फसलों मंे नुकसान पहंचाने वाला मुख्य कीट टिड्डी दल का प्रकोप काफी फैल रहा है, इसको देखते हुए हमें भी सर्तक रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसानों के खेतों में बोई गई जायद की प्रमुख फसलों जैसे-मूंग, उर्द एवं हरी सब्जियों तथा गन्ना आदि फसलों की सुरक्षा के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है।
सीडीओ श्री त्रिपाठी ने जनपद के किसानों से अपील करते हुए कहा कि टिड्डी दलों से बचाव को लेकर किसान भाइयों को बेहद सतर्क और जागरूक रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा किसान भाई टिड्डी दल को भगाने के लिये थालियां, ढोल, नगाडे़ अन्य माध्यमों से ध्वनि करना चाहिए, जिसकी आवाज सुनकर खेत से टिड्डीयां भाग जायें।
जिला कृषि अधिकारी जेपी यादव ने टिड्डियों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि टिड्डी (स्वबनेज) या टिड्डा (ळतंेेीवचचमत) एक्रिडीडी परिवार के आॅर्थोप्टेरा गण का कीट है तथा सबसे विनाशकारी कीट है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कीट की उड़ान हजारों मील तक पाई जाती है। टिड्डियों को उनके चमकीले पीले रंग और पिछले लम्बे पैरों से पहचाना जा सकता है। टिड्डी जब अकेली होती हैं तो उतनी खतरनाक नहीं होती है लेकिन झुण्ड मंे रहने पर ये बहुत खतरनाक और आक्रामक हो जाती हैं तथा फसलों का एक बार मंे सफाया कर देती हैं। दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि, फसल पर किसी ने एक बड़ी सी चादर बिछा दी हो । टिड्डीयाॅ फसलों के फूल, फल, पत्ते, तने, बीज और पेड़ की छाल सब कुछ खा जाती हैं। एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। टिड्डीयों का जीवन काल कम से कम 40 से 85 दिनों का होता है।
बैठक में उपनिदेशक कृषि डा0 मुकुल तिवारी, जिला कृषि अधिकारी जेपी यादव, जिला गन्ना अधिकारी ओपी सिंह, जिला भूमि संरक्ष्ण अधिकारी सदानन्द चाौधरी, कृषि वैज्ञानकि मिथलेश झा, चीनी मिलों के जीएम तथा उद्यान विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
टिड्डियों को भगाने एवं नियंत्रित करने के लिये अपनाएं ये तरीके-जिला कृषि अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी ने किसानों को सुझाव देते हुए बताया कि टिड्डी दल को भगाने के लिये थालियां, ढोल, नगाडे़ अन्य माध्यमों से ध्वनि करना चाहियंे जिसकी आवाज सुनकर खेत से टिड्डियां भाग जायें। इसके अलावा रासायनिक कीटनाशक मैलाथियाॅन 5 प्रतिशत धूल की 25 किग्रा0 मात्रा का बुरकाव या क्विनालफाॅस 25 प्रति0 ई0सी की 1.5 ली0 मात्रा को 500 से 600 ली0 पानी मे घोलकर प्रति हक्टेयर की दर से फसल पर छिड़काव करें। टिड्डी दल सुबह 10 बजे के बाद अपना डेरा बदलता है। इस लिये इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिय लैम्डा सायहेलोथ्रिन 5 प्रति0 ई0सी0 की 01 ली0 मात्रा या क्लोरोपाइरीफाॅस 20 प्रति0 ई0सी0 की 1 ली0 मात्रा को 500 से 600 ली0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर सुबह 10 बजे से पूर्व छिड़काव करें। उन्होने यह भी बताया कि टिड्डियों को भगाने में नीम का तेल भी बहुत किफायती तथा कारगर है। इसके लिए नीम के तेल की 40 एम0एल0 मात्रा को 10 ग्राम कपडे़ धोने के पाउडर के साथ मिलाकर प्रति टंकी पानी में डालकर छिड़काव करने से टिड्डी फसलों को नही खा पाती है। उन्होने यह भी बताया कि फसल की कटाई के बाद मई-जून में खेत की गहरी जुताई करने से सूर्य की तेज किरणों से भूमि में पड़े टिड्डीयों एवं अन्य कीटों के अण्डे व प्यूपा को नष्ट किया जा सकता हैं। बलुई मिट्टी टिड्डी के प्रजनन एवं अण्डे देने हेतु सर्वाधिक अनुकूल होता है। अतः टिड्डी दल के आक्रमण से सम्भावित ऐसी मिट्टी वाले क्षेत्रों मे जुताई करवा दें एवं जल भराव कर दें। ऐसी दशा मे टिड्डी के विकास की सम्भावना कम हो जाती है।
कृषि विभाग में कन्ट्रोल रूम स्थापित, काॅल करके कृषक ले सकते हैं मदद
मुख्य विकास अधिकारी नेे बताया है कि टिड्डी दलों के सम्भावित हमले से बचाव एवं मदद हेतु जनपद स्तर पर कन्ट्रोल रूम स्थापित कर दिया गया है। कृषक भाई टिड्डी दल के प्रकोप से सम्ब्ंाधित किसी भी प्रकार की सहायता हेतु कन्ट्रोल रूम के नम्बर 05262-233516 एवं मो0 नं0 9936898070 पर कार्यायल दिवस मे प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक सम्पर्क कर सकते हैं। वहीं चीनी मिलों तथा जिला गन्ना अधिकारी कार्यालय की ओर से टिड्डी दलों से बचाव के सम्बन्ध में पम्पलेट भी बांटे जा रहे हैं जिसके माध्यम से किसानबन्धु जानकारी हासिल कर बचाव कर सकते हैं।
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