Saturday, May 2, 2020

राजनीति पर बेअसर कोरोनावायरस का प्रहार

राजनीति से आज हम सभी परिचित है। कोई भी व्यक्ति व्यक्ति राजनीति से आज अछूता हो ऐसा होना मुश्किल है। राजनीति के हम अपने देश में सालों से अच्छे-बुरे रंग देखते आएं हैं। राजनीति में अनेकों उतार चढ़ाव सालों से देखने को मिलते हैं। अपने लाभ के लिए राजनीतिक पार्टियां और व्यक्तियों द्वारा अनेक कार्य किए जाते हैं। ऐसा होना आज के समय में आम जनता को कोई नई बात नहीं लगती है।
लेकिन यदि आज जब सम्पूर्ण विश्व कोरोनावायरस से लडने में लगा हुआ है और किसी भी तरह से कोरोनावायरस से अपने देशवासियों को बचाने में लगा हुआ है। उस समय में भी यदि हमारा देश राजनीति से ऊपर उठकर देश की आम जनता के जीवन की परवाह ना करें। तब हम कैसे उस राजनीतिक सोच का समर्थन करेंगे।


जहां बस जीत और स्वार्थ की सोच हो। आम व्यक्ति के जीवन की सुरक्षा का मुद्दा उनके लिए कर्तव्य ना हो कर एक बोझ हो जाएं।  हम स्वार्थी हो कर अपनी पार्टी या अपने राज्य को बचाने का प्रयास करें। यह सोचे बिना की जीवन सभी का जरूरी है, चाहे वह किसी भी राज्य से हो। देश सब से मिलकर बनता है। एक राज्य या शहर पूरे भारत की पहचान नहीं है।


कोरोनावायरस के गंभीर बिमारी है। इस में समझदारी से फैसले लेने की जरूरत है। किंतु अपने ही राज्य में रहने वालों को अपने राज्य में आने से रोकने की कोशिश करना यह सोच कर कि यदि वह राज्य में आएंगे तो कोरोनावायरस संक्रमित सदस्यों की संख्या में बढ़त आएगी। इस तरह का फैसला आप की राजनीति कुर्सी के लिए सही हो सकता है। किन्तु इंसानियत और मनुष्य जीवन के आधार पर सही नहीं है। 


यदि आपके राज्य में किसी अन्य राज्य से आए व्यक्ति कार्य करते हैं और इस समय लॉक डाउन की वजह से अपने घर जाने में असमर्थ हैं। तो उनकी खाने पीने की व्यवस्था करना आपकी जिम्मेदारी है। आप यह सोच कर कि वह हमें वोट नहीं देते या फिर वह इस राज्य के सदस्य नहीं है उनकी जरूरतों की ओर से मुंह नहीं मोड़ सकते।


यदि आपके राज्य मैं रहने वाले नागरिक  किसी अन्य राज्य में फंसे हुए और अपने परिवार के पास आने की कोशिश में लगे हुए हैं। तो इस लॉक डाउन में सरकार को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए उनकी मदद करनी चाहिए। स्पेशल ट्रेन और बस केवल केंद्र सरकार की ही जिम्मेदारी ना बनकर राज्य सरकारों की भी जिम्मेदारी है। जहां वह इस वक्त है और जहां वह जाना चाहते हैं, दोनों सरकारों को आपस में एक दूसरे से सहयोग करके। समझदारी से फैसले लेते हुए, सभी नियमों का पालन करते हुएं। सभी व्यक्तियों को उनके घरों तक पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए। बिना यह सोचे कि वह किस वर्ग का है। अमीर हो या गरीब, सरकार को सब की शुद्ध लेनी आवश्यक है।


किसी राज्य के नागरिक यदि अन्य राज्य में कार्य करने के लिए प्रतिदिन आते जाते हैं और इस वजह से किसी राज्य को यह डर है। कि उस राज्य में क्रोना वायरस फैल जाएगा। तो ऐसे राज्य को, अपने राज्य में  अन्य राज्यों से आने वाले नागरिकों को रोकने की कोशिश करने के स्थान पर। अन्य राज्यों की  सरकार से बात करके ऐसे कुछ इंतजाम करने चाहिए कि इस समय अपने कर्तव्य को पूर्ण करने वाले वह व्यक्ति जो बिना अपनी फिक्र किए प्रत्येक दिन कार्य कर रहे हैं। उन्हें अपने घर से दूर रहते हुए भी परेशानियों का सामना ना करना पड़े।


ऐसा करना हमारा उनके प्रति कर्तव्य है ना की एहसान। हमें अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए ना कि उसे भागने की कोशिश करनी चाहिए। जब वह व्यक्ति अपने कर्तव्य को निभाने के लिए प्रत्येक दिन प्रयास कर रहे हैं तो हमें भी अपने कर्तव्य उनके प्रति निभाने की संपूर्ण कोशिश करनी चाहिए।


यदि हम अपने राज्य में रहने वाले व्यक्तियों को बेसहारा छोड़ देंगे या फिर किसी अन्य राज्य पर उसका बोझ डालते हुए, अपनी जिम्मेदारियों से हाथ छुड़ा लेंगे। तो इस तरह की राजनीति किसी भी तरह से हमारे देश के लिए और देश के लोगों के लिए लाभदायक नहीं हो सकती है। शायद इस प्रकार के फैसलों से हम क्रोना वायरस के संक्रमण से बच जाएं। किंतु यहां भी विचार करने की आवश्यकता है कि हम देश के नागरिकों के प्रतिनिधि कर अपनी किस तरह की तस्वीर सभी के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।


किसी प्रकार के दबाव में या दिखावे में आकर हमारी सरकारें अक्सर फैसले लेती हैं किंतु इस परेशानी के समय में यदि हमारी सरकारें इस सोच से ऊपर उठकर इंसानियत की सोच को सामने रखकर फैसले ले तो कोरोनावायरस के बुरे दौर में हमें अपने देश के प्रतिनिधियों से कुछ अच्छे विचार सीखने को मिलेंगे। जिन्हें आने वाले समय में याद रखा जा सकेगा। जब भी हमारे देश पर किसी भी प्रकार की विपदा आएगी तो आज के प्रतिनिधियों की मिसाल दी जा सके। हमें ऐसे कार्य करने की आवश्यकता है। ना कि ऐसे कार्य करें जोकि हमें इंसान होने के नाम पर शर्मसार करें। साथ ही एक राज्य के प्रतिनिधि होने के स्थान पर कलंक भी लगाए।


क्रोना वायरस दौर है, एक नई सोच का और नए विचारों का यहां पर हमें अपनी आदतों के साथ-साथ अपनी वह सोच भी छोड़ने होगी जहां पर हम स्वार्थी होकर फैसले लिया करते थे। अब हमें सब के बारे में सोचना होगा क्योंकि यह देश किसी एक राज्य से नहीं बल्कि 130 करोड़ देशवासियों से मिलकर बनता है। यह देश सभी का है और इसीलिए इसके फैसले सभी के लिए होने चाहिए, ना कि कुछ चुने हुए लोगों के लिए।
       राखी सरोज


 


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