पत्रकार:-प्रशान्त यादव
करहल निवासी समाजसेवी विवेक पांडेय ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस प्रत्येक वर्ष ३ मई को मनाया जाता है। वर्ष 1991 में यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र के 'जन सूचना विभाग' ने मिलकर इसे मनाने का निर्णय किया था।'संयुक्त राष्ट्र महासभा' ने भी '3 मई' को 'अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस' की घोषणा की थी।
ऐसे में सबाल उठता है क्या पत्रकारिता स्वतंत्र है ? शायद नही . अगर पत्रकारिता स्वतंत्र नही है तो कारण क्या है ? जरा सोचो । आखिर क्यों होते है पत्रकारों पर हमले ,क्यों पत्रकारों को मुकद्दमा का भय दिखाकर डराया जाता है ।
एक जमाना था जब पत्रकारिता स्वतंत्र हुआ करती थी तब पत्रकारों का दबदबा रहता था पत्रकारों का सम्मान हुआ करता था पत्रकार सत्य को लिखने से कभी डरता नही था तब जिले में गिने चुके पत्रकार हुआ करते थे उस जमाने मे जो पत्रकार हुआ करते थे वो पत्रकारिता केवल समाजसेवा के लिए किया करते है और अपनी पत्रकारिता के धर्म से कभी भटका नही करते थे । उनके लिए पत्रकारिता पैसा कमाने का माध्यम नही थी । आज के दौर में पत्रकारिता प्रोफेशनल हो गयी है पत्रकारिता को पैसा कमाने का जरिया बना लिया है । यही कारण है कि पत्रकार सत्य लिखने से डरने लगा है। जो पत्रकार सत्य लिखने की कोशिश करता है उसे हमला और मुकद्दमों से डरा दिया जाता है । दूसरा कारण पत्रकारों में गुटवाजी का होना भी है , गुटवाजी के चलते पत्रकारों में एकता नही रही इसकी बजह से पत्रकारिता पर अधिकारी व नेता हावी होने लगे है । अगर एक पत्रकार पर हमला होता है तो दूसरा पत्रकार कुछ नही बोलता । पत्रकारों को दबाव में पत्रकारिता करनी पड़ती है। पत्रकारों पर हमला या उनका मुकद्दमा लिखने मामले आये दिन सामने आते रहते है । ऐसे में सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाने होंगे । साथ ही साथ पत्रकारों को एकजुट होकर रहना होगा ।
आओ आज से हम सब संकल्प करें कि आपसी मतभेदों और गुटबाजी को छोड़कर एकजुट होकर पत्रकारिता करेंगे । तभी पत्रकारिता की स्वतंत्रता बरकरार रह पायेगी ।
करहल निवासी समाजसेवी विवेक पांडेय ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस प्रत्येक वर्ष ३ मई को मनाया जाता है। वर्ष 1991 में यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र के 'जन सूचना विभाग' ने मिलकर इसे मनाने का निर्णय किया था।'संयुक्त राष्ट्र महासभा' ने भी '3 मई' को 'अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस' की घोषणा की थी।
ऐसे में सबाल उठता है क्या पत्रकारिता स्वतंत्र है ? शायद नही . अगर पत्रकारिता स्वतंत्र नही है तो कारण क्या है ? जरा सोचो । आखिर क्यों होते है पत्रकारों पर हमले ,क्यों पत्रकारों को मुकद्दमा का भय दिखाकर डराया जाता है ।
एक जमाना था जब पत्रकारिता स्वतंत्र हुआ करती थी तब पत्रकारों का दबदबा रहता था पत्रकारों का सम्मान हुआ करता था पत्रकार सत्य को लिखने से कभी डरता नही था तब जिले में गिने चुके पत्रकार हुआ करते थे उस जमाने मे जो पत्रकार हुआ करते थे वो पत्रकारिता केवल समाजसेवा के लिए किया करते है और अपनी पत्रकारिता के धर्म से कभी भटका नही करते थे । उनके लिए पत्रकारिता पैसा कमाने का माध्यम नही थी । आज के दौर में पत्रकारिता प्रोफेशनल हो गयी है पत्रकारिता को पैसा कमाने का जरिया बना लिया है । यही कारण है कि पत्रकार सत्य लिखने से डरने लगा है। जो पत्रकार सत्य लिखने की कोशिश करता है उसे हमला और मुकद्दमों से डरा दिया जाता है । दूसरा कारण पत्रकारों में गुटवाजी का होना भी है , गुटवाजी के चलते पत्रकारों में एकता नही रही इसकी बजह से पत्रकारिता पर अधिकारी व नेता हावी होने लगे है । अगर एक पत्रकार पर हमला होता है तो दूसरा पत्रकार कुछ नही बोलता । पत्रकारों को दबाव में पत्रकारिता करनी पड़ती है। पत्रकारों पर हमला या उनका मुकद्दमा लिखने मामले आये दिन सामने आते रहते है । ऐसे में सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाने होंगे । साथ ही साथ पत्रकारों को एकजुट होकर रहना होगा ।
आओ आज से हम सब संकल्प करें कि आपसी मतभेदों और गुटबाजी को छोड़कर एकजुट होकर पत्रकारिता करेंगे । तभी पत्रकारिता की स्वतंत्रता बरकरार रह पायेगी ।
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