इस परियोजना से 393,964 हेक्टेयर क्षेत्र में पश्चिम बंगाल के पांच जिलों के लगभग 2.7 मिलियन किसानों को बेहतर सिंचाई सेवाओं का लाभ मिलेगा और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव कम होंगे, जिससे हर साल आने वाली बाढ़ से बेहतर सुरक्षा मिलेगी।
समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव श्री समीर कुमार खरे पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से प्रधान रेजिडेंट आयुक्त श्री कृष्ण गुप्ता और और विश्व बैंक की ओर से भारत के कंट्री डायरेक्टर, श्री जुनैद अहमद ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर, श्री खरे ने कहा कि भारत विकास के लिए एक ऐसी रणनीति अपना रहा है, जो जल संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग और प्रबंधन करता है। यह परियोजना दामोदर घाटी कमान क्षेत्र में सिंचाई और कृषि को बेहतर बनाने में मदद करेगी। सतह और जमीन के नीचे मौजूद जल स्रोतों के न्यूनतम इस्तेमाल के जरिए बाढ़ प्रबंधन को मजबूत करेगी, जो आगे कृषि उत्पादकता और ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ाने में मदद करेगी।
डीवीसीए 60 साल से अधिक पुराना है और अब इसे आधुनिक बनाए जाने की आवश्यकता है। बुनियादी ढांचे का ह्रास और अपर्याप्त सिंचाई प्रबंधन, सेवाओं की खराब गुणवत्ता, अक्षम सिंचाई व्यवस्था तथा नहर नेटवर्क के मध्य और पिछले भागों के लिए सतह पर उपलब्ध पानी को पहुंचाने की विफलता क्षेत्र की बडी चुनौतियां हैं। ऐसे में किसानों को भूजल निकालने के लिए मजबूर किया जाता है, जो खेती की लागत को बढ़ाता है और योजना के टिकाउपन को कमजोर करता है। 2005 और 2017 के बीच, सेमी क्रिटिकल ब्लॉकों की संख्या पांच से बढ़कर 19 हो गई (कुल 41 ब्लॉकों में से)।
निचला दामोदर घाटी क्षेत्र काफी समय से बाढ़ के खतरे वाला क्षेत्र है। यहां बाढ़ से औसतन 33,500 हेक्टेयर फसल वाला क्षेत्र और 461,000 लोग सालाना प्रभावित होते हैं। परियोजना के दायरे में आने वाले इस बहाव क्षेत्र में बार-बार आने वाली बाढ़ से बचाव के लिए बुनियादी ढांचे का अभाव है। परियोजना बाढ़ को कम करने के उपायों में निवेश करेगी, जिसमें तटबंधों को मजबूत करना और गाद निकालने का काम शामिल है।
श्री जुनैद अहमद ने कहा कि पश्चिम बंगाल ने अपने सिंचाई बुनियादी ढांचे को विकसित करने में महत्वपूर्ण संसाधनों का निवेश किया है। हालांकि, इनमें से कई ने अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं किया है। यह परियोजना आधुनिक और लचीला सिंचाई बुनियादी ढाँचा बनाने में राज्य के प्रयासों का समर्थन करेगी, ताकि आने वाले वर्षों में ज्यादा से ज्यादा किसान खेती में बदलाव और विविधता लाकर अधिक आमदनीवाली नकदी फसलों का विकल्प चुन सकें।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, परियोजना के तहत कई संस्थागत सुधारों की योजना बनाई गई है। इनमें एक आधुनिक प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस), बेंचमार्क और साक्ष्य आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया, सतह और भूमि के नीचे उपलब्ध जन स्रोतों के संयुक्त उपयोग को बढ़ावा देने, तर्कसंगत संपत्ति प्रबंधन की शुरूआत और नागरिकों की साझेदारी के माध्यम से पारदर्शिता में सुधार जैसी बातें शामिल हैं। सिंचाई सेवा प्रदाताओं को सिंचाई सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए उनके प्रदर्शन के आधार पर शामिल किया जाएगा।
जल संसाधन प्रबंधन के विशेषज्ञ और परियोजना के लिए विश्व बैंक की टास्क टीम के लीडर श्री एच डी जोंग ने कहा कि पश्चिम बंगाल में दामोदर घाटी कमान क्षेत्र में सतही जल प्रणाली ऊपरी छोर तक सीमित है, जिसकी वजह से इसके निचले हिस्से में भूजल का ज्यादा दोहन हो रहा है, जिससे इसके स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। इससे योजना की वहनीय क्षमता का क्षरण हो रहा जो जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को झेल पाने की किसानो की क्षमता लगातार घटती जा रही उन्होंने कहा कि परियोजना सतह पर उपलब्ध जल स्रोतों का कुशल उपयोग करने में मदद करेगी तथा भूजल उपयोग के दीर्घकालिक स्थायित्व को बढ़ाएगी। इससे कृषि किसानों के लिए खेती अधिक उत्पादक और जलवायु-अनुकूल हो सकेगी। उन्होंने कहा कि परियोजना सतह पर उपलब्ध जन स्रोतों का कुशल उपयोग करने में मदद करेगी तथा भूजल उपयोग के दीर्घकालिक स्थायित्व को बढ़ाएगी। इससे कृषि किसानों के लिए खेती अधिक उत्पादक और जलवायु-अनुकूल हो सकेगी।
परियोजना की कुल लागत 413.8 मिलियन डालर है। जिसमें ($ 145 मिलियन), एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (145 मिलियन डॉलर) और पश्चिम बंगाल सरकार (123.8 मिलियन डॉलर) का योगदान कर रही है।
अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक इंटरनेशनल बैंक (आईबीआरडी) से दिया गया 145 मिलियन डॉलर का ऋण, 6 साल की अनुग्रह अवधि और 23.5 वर्षों की परिपक्वता अवधि का है।
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