वैसे यदि आबादी और संसाधन के दृष्टिकोण से देखा जाए तो भारत कोरोना कहर से अपेक्षाकृत कम हानी वाला देश बनकर उभरा है इसमें हमारी देशज़ जीवन पद्धति राष्ट्र मन की शक्ति सरकार का संकल्प और लोक कल्याण के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता का सर्वाधिक योगदान है दोस्तों कोरोना वायरस को रोकने के लिए दुनिया में जो प्रथम प्रयास किया गया वह लॉक- डाउन ही रहा हैं यह सच है कि लॉकडाउन से देश -दुनिया में लाखों लोगों की जीवन की रक्षा हुई है जीवन सर्वोपरि है और जीवन रक्षा यदि बिना किसी लागत के हो सके तो यह सबसे बड़ी मानवीय उपलब्धि है दोस्तों पूरे दुनिया को एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है हमें कोरोना वायरस की महामारी का मुकाबला करना है ताकि जब जिंदगी पटरी आये तो उसमें पर्यावरण का ख्याल रखा जा सके जिसमें कोई देश पीछे ना छूटे दोस्तों पिछले महीने एंटोनियो गुटेरेस ने चेताये थे कि जलवायु परिवर्तन का मुद्दा कोरोना वायरस से कहीं बड़ा है दोस्तों अगर सरकारें अपने आर्थिक मदद को लंबे समय तक जारी रखने और न्यायसंगत बनाए रखने में नाकाम रही तो हमारी पृथ्वी को आर्थिक सामाजिक और पर्यावरण की दृष्टि से बर्बादी ऐसे कगार पर लाकर खड़ा कर देगी जहां हमारा अस्तित्व ही खतरे में होगा और ये स्थिति पर्यावरण संकट के कारण पैदा होगी दोस्तों वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से कहीं ना कहीं पूरी दुनिया के प्रकृति की सेहत सुधरी हैं निर्मल हो चुकी है राप्ती गंगा यमुना एवं अन्य नदियां तलाबे स्वच्छ हुए हैं वही दोस्तों सड़कों पर दिखने लगे हैं अद्भुत और सुंदर जिव सोचो दोस्तों अगर लॉकडाउन ना हुआ होता तो शायद ऐसी प्राकृतिक नजारे हमें नहीं देखने को मिलता जिस यमुना गंगा की सफाई के लिए आज तक कोई सरकार सफल नहीं हो पाई करोड़ों की पैकेज जारी होने के बाद भी गंगा यमुना साफ नहीं हो पाई वह लॉकडाउन ने कर दिया दोस्तो बहुत हद तक असंतुलन ठीक करने का काम प्रकृति स्वयं करती है लेकिन धरती का सबसे समझदार प्राणी मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए सबसे खराब रोल निभाता है दोस्तों आज हम स्वच्छ नीला आसमान दुर्लभ पशु पक्षी और शुद्ध हवा का एहसास कर रहे हैं जहां इंसान घरों में रहने को मजबूर है वही वन्यजीवों को काफी सुकून मिला रहा है पहले स्थान पर प्रदूषण के मामले में दिल्ली रहने वाला आज प्रदूषण मुक्त है आसमान साफ दिख रहा है व्यवसायिक और आम गतिविधियां बंद होने से गंगा नदी की पानी की क्वालिटी सुधर गई है यमुना नदी इतना साफ हो गई है कि लोग देखकर काफी हैरान हैं यमुना को साफ करने के लिए अलग-अलग सरकारों ने कितनी योजनाएं और समितियां बनाई कितना ही धन खर्च किया लेकिन ऐसे नतीजे कभी नहीं दिखी जो लॉकडाउन के दौरान अपने आप ही सामने आए हैं दोस्तों जब- जब इस प्रकार के भयानक महामारी आई हैं तब -तब पर्यावरण ने सकारात्मक करवट ली है परंतु सोचने वाली बात है कि यह लालची मनुष्य जब संक्रमण का खतरा पूरी तरह खत्म हो जाएगा तब प्राकृतिक के साथ तालमेल बैठाकर चलेगा तब भी क्या पर्यावरण की यही स्थिति बरकरार रह पाएगी इसके लिए सरकार के साथ आम इंसान तालमेल बैठा पाएगा आपको क्या लगता है? हमें ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जो प्रकृति को बिना क्षति पहुंचाए सतत विकास की ओर अग्रसर हम हो सकेl
कवि विक्रम क्रांतिकारी(विक्रम चौरसिया-अंतरराष्ट्रीय चिंतक)
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