क्या भारत के ग्रामीण इलाके अब कोरोना वायरस का नया हॉटस्पॉट बन रहे हैं? दोस्तों पहले ज्यादातर नए मामले देश के शहरों से ही सामने आ रहे थे l लेकिन अब ग्रामीण इलाकों की हिस्सेदारी भी बढ़ने लगी है ,जो कि बहुत ही चिंता का विषय है l दोस्तों लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर ग्रामीण इलाकों की तरफ लौट रहे हैं l जिस कारण से इन ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है l दोस्तों अगर प्रत्येक राज्य सरकार शुरुआती समय में पहल किया होता और जो प्रवासी मजदूर है या जो भी व्यक्ति वंचित है परेशान है उसके रहने खाने और उसके सुरक्षा की गारंटी लिया होता तो शायद हमारे देश का यह तबका अपने घरों के तरफ हजारों किलोमीटर भूखे ,प्यासे पैदल जाने को मजबूर नहीं होता और यह शहरों की बीमारी शायद गांव तक नहीं पहुंच पाती जिस प्रवासी मजदूरों ने उस शहर को बनाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा दिया कई पीढ़ियां उस शहर को बसाने में अपना जीवन खपा दिया l लेकिन उस शहर ने इस वैश्विक महामारी से उपजी इन वंचित लोगों की परेशानी के लिए आगे बढ़कर मदद नहीं किया बल्कि हजारों किलोमीटर पैदल चलने पर मजबूर किया और बहुत से प्रवासी मजदूर गरीब तबके के लोग अपने मंजिल तक पहुंचने से पहले ही मौत के मुंह में समा गए l कोई प्रवासी मजदूर अपने गांव की तरफ जाने के लिए हजारों किलोमीटर परिवार के साथ पैदल चला रास्ते में भूखे प्यासे मारा गया तो कोई ट्रक के नीचे कुचल गया तो कोई ट्रेन के नीचे आकर मारा गया और अगर में कोई किसी तरह से बच भी गया तो भेड़ -बकरियों की तरह क्वॉरेंटाइन में रख दिया गया जहां उचित व्यवस्था ही नहीं है l जैसा कि हम देख रहे हैं कि अब ग्रामीण भारत में भी कोरोना वायरस का केस दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है ,जो कि बहुत ही चिंता का विषय इसलिए हमें अब ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की जरूरत है अगर नहीं किया तो हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे l दोस्तों भारत में जितने हॉस्पिटल , बेड्स है उनमें अगर देखा जाए तो ग्रामीण इलाकों के हिस्से सिर्फ 33% बेड्स आते हैं और डॉक्टरों की भारी कमी है l अगर आंकड़ों के मुताबिक देखें तो भारत में सरकारी अस्पतालों के पास इस समय करीब 7 लाख बेड्स है पूरे भारत में और इनमें से ग्रामीण स्वास्थ्य प्रणाली का हालात बहुत बुरा है l इसीलिए दोस्तों पलायन के साथ बढ़ता संक्रमण का खतरा राज्य सरकारों के लिए भी चिंता का विषय है l दोस्तों प्रवासी मजदूरों की घर वापसी ने अब ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना वायरस से खतरे को बढ़ा दिया है l लेकिन मेरा सवाल यह है आपसे कि क्या इसके लिए सिर्फ प्रवासी मजदूर ही जिम्मेदार हैं? दोस्तों हम जानते हैं कि जो प्रवासी मजदूर उस शहर को बनाने के लिए अपना कई पीढ़ियों से जीवन दांव पर लगाकर शहर को सवार थे रहें वह शहर राज्य उनको अपना या नहीं इस वैश्विक महामारी में इन प्रवासी मजदूरों के पास लॉक डाउन के दौरान अपना सब कुछ गंवाने के बाद, घर लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था l और इसके लिए मैं अपने देश के सिस्टम को जिम्मेदार मानता हूं l क्या जो प्रवासी मजदूरों ने उस शहर राज्य को बनाने के लिए अपना पूरा जीवन दाव पर लगाया l क्या उनके रहने -खाने का जिम्मेदारी नहीं ले सकती थी सरकार उनको आश्वासन नहीं दे सकती थी कि हम हैं आपके साथ हर प्रकार का मदद किया जाएगा? लेकिन ऐसा नहीं हुआ अगर हुआ होता तो यह वंचित प्रवासी गरीब मजदूर कभी भी हजारों किलोमीटर पैदल चलकर इस मुश्किल दौर में नहीं जाते l लेकिन कहते हैं ना मरता क्या ना करता? दोस्तों जो भी हो आदिकाल से मानव जीवन संघर्षों से घिरा रहा है l जीवन के साथ संघर्ष था, हैं और रहेगा l देश- काल और परिस्थितियों के अनुसार इस संघर्ष की प्रबलता में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता हैl दोस्तों हमें जीवन जीने के तौर-तरीकों में बदलाव लाना होगा l और इन वंचित प्रवासी मजदूरों के लिए हम जितना कर सकते हैं अपनी सामर्थ्य अनुसार हमें उनकी मदद के लिए कदम बढ़ाने की जरूरत है l दोस्तों हर बदलाव बेहतरी के लिए होता है l जीवन के इस संघर्ष में इंसान ही विजयी होगाl और देखना फिर सब कुछ पहले जैसा होगा l इसलिए हमें इंसानियत छोड़नी नहीं चाहिए l इस वैश्विक महामारी में हमारा साहस और सावधानी ही खत्म करेगा इस परेशानी को इसलिए हमें सावधान रहना है सुरक्षित रहना है और आस-पड़ोस के वंचित तबकों के लिए दिल- खोलकर मदद करने की जरूरत हैl
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