जैसा कि इस समय सम्पूर्ण विश्व महामारी के दौर से गुजर रहा है,और दिन-प्रितिदिन ये महामारी विकराल रूप धारण करती जा रही है।दअरसल ये मनुष्य का प्रकृति के साथ खिलवाड़ का ही परिणाम है,जिसे सम्पूर्ण जगत में हाहाकार मच हुआ है।ऐसा कहा जाता है कि प्रकृति किसी को नही बख्शती।
मुनष्य बहुत समय से प्रकृति का दोहन करता आ रहा है-वनों को काटकर मनुष्य ने वनों के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया है।नदियों का पानी दिन-प्रतिदिन दूषित होता जा रहा है,और प्राणवायु के रूप में हवा भी बहुत ज्यादा दूषित हो चुकी है।कहीं न कहीं प्रकृति ये सब जुल्म बर्दाश्त नही कर पा रही है,और इस समय ष्कोरोनाष् बीमारी प्रकृति का मनुष्य जाति को इशारा है,कि अभी भी समय है सम्भलने का अन्यथा आगे और गम्भीर परिणाम होंगे।आज प्रकृति के रौद्र रूप से सब कुछ ठहर गया है।और प्रकृति को अपने आप को व्यवस्थित करने का मौका मिल गया है।अतः हम सब को अब से भी प्रकृति का दोहन बन्द कर देना चाहिए,जिससे इस धरा पर मनुष्य जाति का अस्तित्व कायम रहे।
रुपेश कुमार श्रीवास्तव
सलेमपुर(देवरिया)
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