Sunday, May 3, 2020

गंगा मैया

सुरसरि मन्दाकिनी गंगा सारे तेरे नाम

पाप धोती माँ जहाँ बहती बन जाता धाम।।

आरती जो कोई गाता भवसागर तर जाता।

माँ गंगा के पावन तट की जन जन महिमा गाता।।

भागीरथ ने कठिन तप से धरा पर तुम्हें बुलाया।

जगत के कष्ट हरे माँ सबके जो मन से तुम्हें ध्याता।।

तू कल्याणी पाप मोशनी भक्तों के दुख हरती।

तेरी शरण जो भी आये  माँ भवपार हो जाता।।

गंगासागर पर भीड़ पड़ी है तेरे दर्शन को माँ।

 निर्मल धार में जो भो नहाता रोग मुक्त हो जाता।।

सभी पवित्र काम गंगाजल के बिना अधूरे हैं।

जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुज गंगा का सहारा पाता।।

आज महानगरों के किनारे गंगा प्रदूषित हो रही।

गंगा को शुद्ध करने में इंसान क्यों पीछे हट जाता।।

जिसके प्राण नहीं निकलते उसे गंगाजल पिलाते हो।

फिर गंगा को शुद्ध करने में  इंसान हाथ पीछे क्यों करता।।

युगों युगों से देश की माटी गंगा से जीवन पाती है।

गंगा तेरा पानी अमृत कहने से काम नहीं चलता है।।

डॉ. राजेश पुरोहित

भवानीमंडी

No comments:

Post a Comment