मार्ग में काँटे बिछाये,मेहरबानी है।
कष्ट देकर मुस्कराये,मेहरबानी है।
सुर्ख काले बादलों का,कृत्य भी तो देखिये
सिर्फ खाली गड़गड़ाये,मेहरबानी है।
रोगियों को एक केला दे बड़े ही शान से
ठाट से फोटो खिंचाये,मेहरबानी है।
जिनको हरदम खुशियाँ बाँटी दुर्दिन में वे ही
फेर मुख को बड़बड़ाये,मेहरबानी है।
काम तब तक कर सके ना हाथ बिन रिश्वत लिये
कुछ कहाआँखें दिखाये,मेहरबानी है।
श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
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