Friday, May 1, 2020

एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल करते हुए, आईआईटी दिल्‍ली ने कोविड-19 का पता लगाने वाला किफायती जांच मुक्‍त असे (नमूने के प्रतीरक्षात्‍मक कार्य को मापने की प्रक्रिया) विकसित किया

केन्‍द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज कोविड-19 जांच-मुक्‍त वास्‍तविक समय पीसीआर नैदानिक किट के विकास में शामिल आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों की टीम को बधाई दी। बैठक में मंत्रालय में सचिव, श्री अमित खरे; अपर सचिव श्री राकेश सरवाल; दिल्‍ली आईआईटी के निदेशक श्री रामगोपाल राव और श्री विवेकानंद पेरुमल और डॉ. मनोज मेनन के नेतृत्व में आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों की एक टीम उपस्थित थे।


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इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए वैज्ञानिकों, छात्रों और शोधकर्ताओं को आगे आने के लिए आमंत्रित किया है और प्रधानमंत्री के आह्वान के जवाब में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सभी प्रमुख संस्थान आगे आए हैं, उन्‍होंने सराहनीय काम किया है और वे कोविड-19 से उत्‍पन्‍न स्थिति से निपटने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे रहे हैं। श्री पोखरियाल ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री हमेशा यह उम्मीद करते हैं कि हम अपनी ताकत विकसित करें और हमें दुनिया पर निर्भर नहीं होना चाहिए। इसलिए, हमारे संस्थानों खासतौर से आईआईटी की अनुसंधान क्षमता और उसके उच्च मानकों को ध्यान में रखते हुए, महामारी की शुरुआत से ही आईआईटी के साथ बैठकें की गईं, ताकि कोविड-19 के संबंध में उनके अनुसंधान और नवाचार की पहल को आगे बढ़ाया जा सके।


श्री पोखरियाल ने वैज्ञानिकों की टीम का अभिनंदन करते हुए कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अपने सभी संस्थानों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, संकाय सदस्यों और छात्रों पर बेहद गर्व है जो पूर्ण लॉकडाउन के समय में अथक प्रयास कर रहे हैं, ताकि कोविड-19 के प्रकोप से उत्‍पन्‍न समस्याओं और जिनका न केवल देश की जनता को बल्कि पूरी मानवता को सामना करना पड़ रहा है, उनका समाधान निकाला जा सके।


मंत्री ने भारत के लोगों के लिए बहुत कम लागत पर एक जांच किट विकसित करने के लिए आईआईटी दिल्ली के प्रयासों की सराहना की। यह किट न केवल स्वास्थ्य देखरेख सेवाओं को सशक्त बनाएगा बल्कि संकट के समय में सरकार का सहयोग भी करेगा। उन्होंने आईआईटी दिल्ली कुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज (केएसबीएस) के शोधकर्ताओं को बधाई दी, जिन्होंने कोविड-19 का पता लगाने के लिए एक असे विकसित किया है जिसे आईसीएमआर ने मंजूरी दे दी है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि आईसीएमआर ने 100% की संवेदनशीलता और विशेषता के साथ असे को विधि मान्य कर दिया है। आईआईटीडी पहला ऐसा शैक्षणिक संस्थान है जिसने वास्तविक समय पीसीआर-आधारित नैदानिक असे के लिए आईसीएमआर की मंजूरी प्राप्‍त कर ली है।


श्री पोखरियाल ने इस बात पर विशेष रूप से प्रकाश डाला कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय संस्थानों को उनके शोध प्रयासों के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की परियोजना सरकार की मेक इन इंडिया पहल की तर्ज पर है। श्री पोखरियाल ने प्रौद्योगिकी और अनुसंधान को विधि मान्य करने में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के प्रयासों के लिए केन्‍द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को भी धन्यवाद दिया।


श्री रामगोपाल राव ने मंत्री को बताया कि यह कोविड-19 के लिए पहला जांच मुक्‍त असे है जिसे आईसीएमआर ने मंजूरी दी है और यह विशिष्ट और किफायती उच्च थ्रूपुट (प्रवाह क्षमता) जांच के लिए उपयोगी होगा। इस असे को आसानी से बढ़ाया जा सकता है क्योंकि इसमें फ्लोरोसेंट जांच की आवश्यकता नहीं होती है। टीम जल्द से जल्द उपयुक्त औद्योगिक भागीदारों के साथ किफायती दरों पर किट का बड़े पैमाने पर उपयोग करने की तैयारी कर रही है।


अनुसंधान टीम में आईआईटी दिल्‍ली के प्रशांत प्रधान (पीएचडी स्‍कॉलर), आशुतोष पांडे (पीएचडी स्‍कॉलर), प्रवीन त्रिपाठी (पीएचडी स्‍कॉलर), डा. अखिलेश मिश्रा, डा. पारूल गुप्‍ता, डा. सोनम धमीजा, प्रोफेसर विवेकनंदन पेरूमल, प्रोफेसर मनोज बी. मेनन, प्रोफेसर विश्‍वजीत कुंडु, प्रोफेसर जेम्‍स गोम्‍स शामिल हैं।



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