हम भारत और नेपाल की दोस्ती के किस्से बचपन से सुनते आ रहे हैं l कहा जाता है कि भारत और नेपाल के बीच रोटी और बेटी की रिश्ता है आपने भी देखा होगा हमारे आस- पड़ोस में नेपाल के पड़ोसी रहते हैं ,यही भारत में उनके बच्चे जन्म लेते हैं यही शिक्षा लेते हैं ,यही नौकरी करते हैं व शादी करते हैं और यही का बनकर रह जाते हैं l दोस्तों भारत और नेपाल घनिष्ठ मित्र है ,यह मित्रता हजारों वर्ष पुरानी है, जिसके केंद्र में संस्कृति और धर्म है l लेकिन वर्तमान में सीमा विवाद को लेकर यह दोस्ती खतरे में दिख रही है , दोस्तों अक्सर हम देखते हैं कि कई बार किसी तीसरे व्यक्ति की वजह से दो पुराने दोस्तों के बीच दरार आ जाती हैं , और भारत और नेपाल की दोस्ती के साथ ऐसा ही हो रहा हैl नेपाल ने पिछले दिनों उत्तराखंड में स्थित तीन महत्वपूर्ण लिपुलेख,कालापानी और लिंपिया -धुरा पर अपना दावा जता दिया और नए राजनीतिक नक्शे में इन तीनों इलाकों को अपना हिस्सा बता रहा है l और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने देश की संसद में बोलते हुए यहां तक कह दिया कि नेपाल में कोरोना वायरस भारत की वजह से फैल रहा है, आखिर यह कैसी मानसिकता को दर्शाता है कहीं ना कहीं चीन का इशारा पर ही नेपाल ऐसी शब्दों की बौछार कर रहा है l और दूसरी तरफ चीन ने पूरे के पूरे माउंट एवरेस्ट पर अपना दावा ठोक दिया फिर भी नेपाल ने कुछ नहीं कहा वहीं भारत ने अपनी सीमा के अंदर एक सड़क बना ली तो नेपाल को यह बात पसंद नहीं आई जबकि दोस्तों दुनिया के सबसे ऊंचा पर्वत माउंट एवरेस्ट नेपाल के सिर का ताज है l लेकिन वहां चीन ने दवा किया तो कुछ नहीं बोला वहीं भारत ने अपने ही सीमा के अंदर सड़क बना लिया तो नेपाल को यह बात पसंद नहीं आ रहा है, इसका मतलब साफ है कि नेपाल चीन के इशारों पर ऐसी हरकतें कर रहा है l हैरानी की बात यह है कि भारत इस सड़क पर वर्ष 2008 से काम कर रहा है, लेकिन पिछले 12 वर्षों में नेपाल ने इस प्रोजेक्ट पर कभी आपत्ति नहीं जताई लेकिन अचानक सा बदला व्यवहार जाहिर करता है कि चीन के इशारे पर ही नेपाल ऐसी हरकतें कर रहा है l दोस्तों देखा जाए तो नेपाल का आरोप है कि भारत ने 2015 में ब्लैकेड लगाकर नेपाल की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया था, लेकिन सच यह है कि उस वक्त नेपाल में मधेसी प्रदर्शनकारियों की वजह से जरूरी सामान की आपूर्ति नहीं हो पा रही थी इसीलिए लगाना पड़ा था l लेकिन इसी मौके का फायदा उठाकर चीन ने नेपाल को भारत के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया और अब चीन नेपाल की अंदरूनी राजनीति में दखलंदाजी करके उसे अपना मोहरा बनाना चाहता है .लेकिन यह बात नेपाल समझ नहीं पा रहा है l दोस्तों इस वक्त नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है और चीन को कम्युनिस्ट पार्टियों से कितना प्यार है यह सब जानते हैं. दोस्तों कहा जाता है कि चीन के कहने पर ही नेपाल की दो कम्युनिस्ट पार्टियों ने हाथ मिलाया और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई थी l जो भी हो पार्टी जीती लेकिन अब इस पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और पार्टी में नेतृत्व की लड़ाई जारी है ,इसी का फायदा उठाकर चीन -नेपाल की राजनीति में दखल दे रहा है l दोस्तों मेरा सवाल है कि क्या नेपाल भारत के साथ टकराव के रास्ते पर आगे बढ़ेगा और यह नेपाल के लिए कितना आसान होगा? दोस्तों एक अनुमान के मुताबिक भारत में 20 से 25 लाख नेपाली नागरिक रहते हैं इनमें से 10 लाख मजदूरी का काम करते हैं, देखा जाए तो नेपाल ना केवल सैन्य -शक्ति के तौर पर बल्कि वहां की अर्थव्यवस्था भी काफी हद तक भारत पर ही निर्भर है, दोस्तों भारत ने समझाने का प्रयास किया है कि चीन के बहकावे में आकर कोई गलत बयानबाजी न करें l देखो दूसरी तरफ अमेरिका ने लद्दाख के साथ ही सीमा पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच हाल के दिनों में बने तनावपूर्ण माहौल पर गंभीर चिंता जताई है, डोकलाम विवाद के वक्त भी अमेरिका साथ आया था l दोस्तों इसके साथ ही चीन- पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर का भी पाकिस्तान के हित में नहीं है इसलिए चीन के चलाकी को समझने की जरूरत है , और भारत -नेपाल के रोटी और बेटी के रिश्ते को हमें समझने की जरूरत है l
कवि विक्रम क्रांतिकारी
No comments:
Post a Comment