अतीत को विस्मृत कर अंतर को झंकृत करें।
आशा का दीप प्रज्वलित कर नव सन्धान करें।।
उम्मीद की रोशनी फिर से रोशन करेगी मन।
लोभ मोह जैसे विजातीय शत्रुओं का मिलकर संहार करें।।
पाप की गठरी जो खुदगर्ज़ी से भारी हो गई।
आओ पूण्य कर जरा इसे कुछ तो रीति करें।।
बन्द है शास्त्र सारे नकारात्मक सोच से घरों में।
आओ इस आपदा में घर बैठे बैठे उनका स्वाध्याय करें।।
आशा की किरण जीवन मे सदा उजाला लाती है।
विश्वास से प्रतिदिन कर्मपथ पर बढ़ने का साहस करें।।
डॉ. राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"
भवानीमंडी
No comments:
Post a Comment