Saturday, May 2, 2020

आखिर इंसान क्यों सोचता है मरने की , मुसीबतें सबके पास होती है! पत्रकार प्रशान्त यादव

अरे जिन्दगी जीने का हुनर जरा उन लोगों से भी सीख लो,जिनके पास देखने को आंखे तक नहीं होती! 
पत्रकार -प्रशान्त यादव
बहुत लोग है भारत में जो हर साल आत्महत्या करते हैं ये सब कभी ना सोचे ज़िन्दगी बहुत अच्छी है आज वक़्त बुरा है कल अच्छा होगा जीवन में सुख दुःख तो आता ही रहता हैं, लेकिन इस दुःख को भुला कर ख़ुशी जीने को ही जिंदगी कहते हैं आत्महत्या ऐसा कदम है जिसे पीछे नहीं लौटाया जा सकता। ये भी पढ़ा-सुना है कि जीवन में कभी ना कभी हर एक व्यक्ति इस बात को सोचता है।अगर आप मानसिक तनाव या अवसाद में हैं तो इसमें किसी प्रकार की शर्म, संकोच या छिपाने की बात नहीं है।अपने मित्रों, रिश्तेदारों या चिकित्सक से संपर्क कीजिए। ऐसा कहते हैं इस उदासीन कदम से कुछ सैकंड पूर्व यदि व्यक्ति किसी से बात करे तो वह जीवन में लौटने का इरादा कर लेता है तो बात कीजिए अपने करीबी लोगों से।आत्महत्या एक कमजोर व वेबकूफ व्यक्ति द्वारा उठाया  कदम होता है कोई शाबाशी की बात नहीं। समय उदासीन हो सकता है किन्तु बुरा नहीं। जीवन(झूला) की तरह है।अच्छा-बुरा,बुरे से फिर अच्छा और अंततः अच्छा ही होता है, याद कीजिए इस (झूला) से मिलने वाले आनंद को।आप कहेंगे ना कि ये खेल बढ़िया था तो बने रहिए सलामत व सकारात्मक मैंने देखा है दोस्तो भीड़ बाहर कितनी भी हो लोग अंदर से बहुत खोखले होते जा रहे है,
आये दिन लोगों को डिप्रेशन से जूझते देख रहा हूँ।आप सभी से प्रार्थना है अगर आपके आस पास कोई ऐसा हो तो थोड़ा सा समय उसे जरूर दीजिएगा कुछ नही भी कर सके तो उनकी बात सुन लीजिएगा।आपका उससे कुछ नही जाएगा पर किसी की जिंदगी बच जाएगी

 

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