Tuesday, April 14, 2020

विश्व संवाद केंद्र  की छात्रा कीर्ति मिश्रा द्वारा लिखी गयी लेख

*पुष्पेंद्र सिंह ब्यूरो चीफ दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ*

 

हाँ आज देखा है मैने खुदको...

खुदको आज बहुत दिनों बाद देखा है अकेला,

हाँ आज देखा है कुछ नहीं होता गैरों का साथ होना

आज देखा है मैने अपनों का मेरे लिए परेशान होना।

आज देखा है मैने अपने घर मे 'मेरा होना'

बहुत दिनों बाद सीखा है मैंने, फिर से अपने बचपन वाले दिनों को जीना।

वो बहुत दिनों बाद माँ-पापा के साथ शाम को चाय पीना,

हाँ वो आज ही देखा मैने ,अपनी हर चीज से दूरी बना कर अपनों का अपना होना।

सच कहूँ भीड़ मे मै भी गुम था कहीं अपनी बेचैन सी जिंदगी में ,

वो आज ही  देखा है मैने ,मेरे परिवार का साथ होना।

 

बेशक लोग अपनी जानों की परवाह के लिए ठिठके हुए है घरों मे

मगर सच कहूँ, जान बचने से भी ज्यादा कीमती है ये पल, जहाँ है अपनो का ,हौसला बनकर एक साथ होना।

एकतरफ कई जिंदगियों को निगल रहा है ये कोरोना

तो वहीं आज ,देखा है मैने ,एक डर के तले ही सही मगर मेरा मेरे परिवार के साथ होना।

मेरे परिवार के साथ होना,

हाँ आज देखा है मैन अपनों का अपने साथ होना।

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