एक बात पर मैंने गौर किया कि कल तब्लीगी जमात की खबर पर सारे मुस्लिम एक स्वर में विरोध करने लगे। उनमें कई उच्च शिक्षित, कई पत्रकार, प्रोफ़ेशनल्स भी शामिल हैं। एक तरह से सब मिलकर काउंटर कर रहे हैं। जबकि होना ये चाहिए था कि ये अपने समुदाय से लॉक डाउन का पालन करने की अपील करते। मरकज के गुनाह पर उसे कोसते। अपने लोगों को अलर्ट करते। दो तीन बिंदु और पढ़िए-
1-लॉक डाउन के बाद ना किसी चर्च, ना किसी मंदिर, न किसी गुरुद्वारे में लोग जबरन प्रार्थना करने पहुंचे, लेकिन देश भर से अलग-अलग स्थानों से वीडियो, समाचार व सूचनाएं आईं कि मस्जिदों में मना करने के बाद भी नमाज़ के लिए लोग इकट्ठे हो रहे हैं।
2-किसी पुजारी, पादरी या ग्रन्थी ने ये नहीं कहा कि आओ मंदिर/चर्च/गुरुद्वारे में प्रार्थना नहीं रुकेगी, सरकार हमें दबाने के बहाने ढूंढ रही है या लॉक डाउन से हमारे धर्म को खतरा है। लेकिन कई मौलानाओं/मौलवियों/मुल्लाओं के ऑडियो/वीडियो सामने आए कि हम तो मस्जिदों में नमाज़ नहीं रोकेंगे। उन्होंने अपने समुदाय के लोगों को भड़काया कि ये साजिश है। पूरी दुनिया मे जब कोरोना का कहर टूट रहा है, उन्हें भारत में साजिश दिख रही है।
3-मुस्लिम युवाओं के कई टिकटोक आये, जिनमें वे शान से कह रहे हैं कि कोरोना हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। वे अपने सहधर्मियों को उकसाते नज़र आये।
4-अंततः जब इंदौर से लेकर दिल्ली तक कोरोना संदिग्ध धर्म विशेष के लोगों को राहत पहुंचाने पहुंचे स्वास्थ कर्मियों पर ये कुल्ला करते/थूकते क्यों नज़र आये। ये क्या चाहते थे?
अब मेरे कुछ सवाल बुद्धिजीवी/उच्चशिक्षित/प्रोफेशनल्स/पढ़े-लिखे मुस्लिम भाइयों से-
1-आपने क्यों ज़हमत नहीं उठाई जागरूकता फैलाने की?
2-जब देश का प्रत्येक नागरिक अपने कर्त्तव्य का पालन करने को लेकर प्रतिबद्धता दिखा रहा था, आपके लोग कौन सी गहन धार्मिक चर्चा के लिए इकठ्टे हो रहे थे?
3-इस देश में सुविधाएं और अधिकार सबके बराबर हैं, (नहीं अधिकार आपके पास कुछ ज्यादा हैं मसलन मुस्लिम पर्सनल लॉ, हज की सब्सिडी इत्यादि) फिर कर्त्तव्य परायणता में अंतर क्यों?
4-चौथी और महत्वपूर्ण बात कि मरकज की खबर को काउंटर करने के लिए वैष्णोदेवी में 400 हिंदुओं के होने की झूठी खबर का सहारा लेकर उनको बदनाम करने की कोशिश की गई, जिनके लिए देश, जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है। वे अपने सबसे बड़े त्यौहार नवरात्रि में मंदिर तक नहीं गए। घरों में ही आराधना करते रहे। धर्म के नाम पर कोई अनुशासनहीनता नहीं की। उनकी सहधर्मी कनिका कपूर को जी भरकर कोसा। उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। आपकी तरह शुतुरमुर्ग बनकर मिट्टी में सर नहीं गड़ाया।
आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि मुझे तरह तरह से कोसा जाएगा। साम्प्रदायिकता का टैग लगाया जाएगा। मेरी पत्रकारिता को आइना दिखाया जाएगा। लेकिन ये सब करने से सत्य बदल नहीं जाएगा। भगवान/अल्लाह/ख़ुदा/गॉड सबका हिसाब रखता है। हमको, आपको, सबको एक दिन उसे ही मुंह दिखाना है। ये मत भूलिएगा।
जीवन भर हम #तुष्टिकरण करते रहे, ये उसका ही नतीजा है। लेकिन मत भूलिए कि कोरोना #महामारी तुष्टिकरण नहीं करती। उसकी जद में सब आएंगे। इसलिए कोरोना के मामले में भी तुष्टिकरण चाहने वालों पर सख़्त कार्रवाई हो।
और अंत में इस चर्चा से ध्यान भटकाने के लिए कृपया मजदूरों की खबर को बीच में ना लाएं। उसपर भी चर्चा हो रही है। मजदूरों की आड़ में आपको लाइसेंस नहीं मिल जाता मरकज के गुनाह को ढंकने का।
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