प्रत्येक विपदा के बाद नाना प्रकार की चुनौतियाँ आती है, और जब विपदा युद्ध से भी बड़ी हो तो चुनौतियाँ अनगिनत हो जाती है।संपूर्ण विश्व इस वक्त सिर्फ जान बचाने की चेष्टा में दिन-रात लगा हुआ है और पूर्ण लाॅक डाउन की स्थिति में है सिर्फ कुछेक जगहों को छोड़कर ।लेकिन जैसे ही इस महामारी से निकलेंगे एक विकट स्थिति होगी मंदी की स्थिति और सामानों की कमी, उत्पादन की कमी, रोजगार की कमी इन सबके बीच होगी भूख और तंगी जो हालात को असामान्य बनाते नजर आएँगे।दरअसल इतनी बडी बंदी ने वो सारी चेन तोड़ दी है जिससे हमारी रोजमर्रे की रोटीयाँ जुड़ी हुई थी।बहुत से कामगार ऐसे है जिनकी पूँजी टूट गयी बहुत से ऐसे लोग है जिनकी रोजगार छुट गयी बहुत से ऐसे लोग है जिनकी दूकाने बंद हो गयी। ऐसे में स्वभाविक है इनकी स्थिति दयनीय होगी। कहने का तात्पर्य वो सारी चेन जो एक दूसरे से जुड़े थे उसको पुनः खड़ा होने में वर्षो लगेंगे इस वर्षो में भूख वेवशी लाचारी से लड़ने के लिए बहुत हौसला और संयम की जरूरत होंगी। सबसे ज्यादा मुश्किल तो रोजाना काम करने वाले मजदूरों की है जो हैण्ड टू माउथ पर आश्रित थे।उनके लिए यह एक एक पल काटना दुर्लभ साबित हो रहा है।मध्यम वर्ग की स्थिति भी बुरी है क्योंकि उनके सामने भी इस बंदी ने सबसे ज्यादा चुनौतीयाँ पेश की है क्योंकि सरकारी योजनाओ में तो गरीबो को प्राथमिकता दी जाती है ये मध्यम वर्ग न तो डेली मजदूरी कर सकते न ही सरकारी मदद ले सकते इसलिए सबसे ज्यादा परेशानी तो इस आने वाले वक्त में इन्हीं को झेलनी पड़ सकती है।मौजूदा हालात तो यही कहते है।
जहाँ तक सरकार का सवाल है तो यह व्यवस्था सरकार को अवश्य करनी चाहिए कि कम से कम एक व्यक्ति जो परिवार का जिम्मेवारी लेता है उन्हें उनके लायक नौकरी की योजना लेकर आये , रोजगार की योजना लाये मदद की योजना लेकर आये जो सभी के लिए हो, भारतवर्ष के प्रत्येक परिवार का अगर एक व्यक्ति सरकारी मुलाजिम होगा तो कम से कम भूखमरी की स्थिति का स्थायी निदान हो सकेगा और यह भारतवर्ष भूखमरी की दलदल से बाहर निकल सकेगा।
सरकार के स्तर पर व्यक्ति नही परिवार के लिए योजना बनाने की इस मौजूदा हालात में जरूरत है आज तक जितनी भी योजनायें बनी है उनमें पारिवारिक योजना वरदान सावित हुई है।और जमीनी तौर पर देश को शक्ति प्रदान की है। इसलिए हर परिवार एक रोजगार योजना पर इस वक्त जीतनी तीव्रता से काम होगा देश भूखमरी से उतना जल्द बाहर निकलेगा ।
आशुतोष
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