Thursday, April 2, 2020

बाहर फिर आईं हैं

वो सड़कें अब एक नहीं
कहानी बयान करने लगीं।
वर्षों से जाने वालों के
इंतजार की गवाह बनीं।
आज आतें कदमों को देख,
मुस्कुरा रहे चहरों की पहचान
की कहानी गुनगुना रही है।
वह सड़कें जिन्होंने वर्षों से
लोगों के चिराग दूर किए थे,
आज उन्हें वापस ले आईं हैं।
बसंत का मौसम गुज़र जाने के
बाद भी इस बार बाहर आई है।
मेरे आंगन में डर के बीच में,
खुशी की नई उम्मीद नज़र आई है।


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