पुष्पेंद्र सिंह ब्यूरो चीफ दैनिक अयोध्या टाइम्स लखनऊ
सरकार के आदेश का हर धर्म के लोगों ने पालन किया उसको स्वीकार किया और हिंदुस्तानी होने की मिसाल पेश की। जिस तरह से करोना वायरस पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है, जिसके लखनऊ में भी लॉक डाउन का आदेश दिया गया। जहां हिंदू भाइयों ने अपनी पूजा को अपने नवरात्र को नहीं मनाया वही मुसलमान भाइयों ने भी आदेश का पालन करते हुए अपनी मस्जिदों को भी बंद कर घरों में नमाज पढ़ने का फैसला लिया। शिया सुन्नी समुदाय का आने वाला त्यौहार जिसे शबे बरात के नाम से जानते हैं उसको स्थगित करने का फैसला लिया। यह त्यौहार अरबी कैलेंडर के अनुसार 15 शाहबान को मनाया जाता है। यह त्यौहार शिया समुदाय के इमाम (इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम) के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। जो 14 शबाना की रात्रि से नाव सजाई जाती है जिसे सब बजरे के नाम से जानते हैं, जिसको गोमती नदी गांव घाट पर सजाया जाता है जो मेहंदी घाट के नाम से प्रसिद्ध है। जहां पर शिया समुदाय के लोग नाव पर नजर दिलाते हैं एक दूसरे को बधाई देते हैं और पटाखे जलाते हैं। वहीं दूसरी ओर शिया सुन्नी समुदाय के लोग अपने पूर्वजों की कब्र पर जाते हैं रोशनी कर फुल्हार चढ़ाते हैं इसको ही शबे बरात कहते हैं। इसमें रात भर लोगों का तांता लगा रहता है लोग इकट्ठा होते हैं। इसलिए बजरे यानी नाव को ना सजाने का फैसला कमेटी जहूर ए इमामत के सदर एस एम मेहजर एडवोकेट तमाम मेंबरान ने लिया। लोगों को अपने घर पर शबे बरात और शांति के साथ मनाने की अपील भी की।
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