Saturday, April 11, 2020

2 रोटी 2 फोटो गरीबों की गरीबी का मजाक नहीं तो क्या?


अता खान/रजिया अंसारी की रिपोर्ट


इसे दौर ए जहालत कहे या अपनी वाहवाही के लिए अपने ही देश की गरीब जनता की गरीबी का मजाक उड़ाने वालों को जाहिल कहे
इस गंभीर महामारी के चलते सत्ताधारि व उनके  कुछ सहयोगी 2 रोटी के बदले 2 फोटो खींच  कर देश के गरीबो का उड़ा रहे मजाक   गरीबो के इस दर्द को याद रखा जाएगा
हा सब याद रखा जाएगा पल पल में वादे करना भूखो को खाना नही सिर्फ  तसल्ली देना याद रखा जाएगा भूख से मरता हर गरीब याद रखा जाएगा 2 रोटी देकर 4 लोगो के साथ फोटो खींच कर सोशल मीडिया पर दुनिया भर में गरीब की इज्जत और गरीबी का ’मजाक उड़ाना याद रखा जाएगा  
हमारी भूख को राजनीति का ’समंदर बनाना याद रखा जाएगा ’यू तुम्हारा 5 स्टार होटलो में 900 की चाय पीना हमे बन्दी में 1 पल ’का खाना खिलाकर ढिंढोरा ’पीटना याद रखा जाएगा। 
तस्सली ’कर मेरे गरीब हस्तियो के
सरताज ’इन्हें हमने बनाया है 
इन्होंने भूखा ’सुलाया है 
कल जब हमारा दौर ’आएगा 
तो ये इंकलाब लिखा जाएगा’ 
आखिर क्यों सेल्फी एक्सपर्ट मदद के नाम पर गरीबो को कर रहे शर्मसार?
मदद के नाम पर सत्ताधारी व सामाजिक संस्थाए 2 रोटी पर 2 फोटो खींच कर गरीबों की गरीबी को सोशल मीडिया पर वायरल करके क्या साबित करना चाहते है?
सुनो गरीब क्या कहता हम भूखे मर जाएंगे हम फोटो नही खिचाएँगे
सुनो गरीबों की गरीबी की जुबानी: गरीब कहता साहब हम इंसान है जानवर नही जो आपके प्रचार प्रसार के लिए अपनी इज्जत अपनी गरीबी का मजाक उड़वाए और आप सोशल मीडिया के किंग बन जायें।



लोगों ने देश में जिस तरह कोरोना का  मजाक बना रखा है उसी तरह आज देश के सत्ता धारियों और उनसे संबंधित सहयोगी संस्थाओं ने और समाज सेवकों ने दो रोटियां देकर 2 फोटो खिंचवाने की जो मुहिम चालू कर अपनी जहालत का पूरा परिचय तो दे रहे हैं लेकिन वहीं देश की गरीब जनता का दो रोटी दो फोटो वाली योजना से गरीब की गरीबी और इज्जत नीलाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं या यूं कह लें कि कोरोना बंदी की मार से गरीबों को भूखा मरने की कगार पर तो पहुंचा दिया है लेकिन दो रोटी दो फोटो खींचने वालों ने गरीब की गरीबी का जनाजा उठाने का कार्य किया है। ऐसे में साहब गरीब भूख से मरे ना मरे लेकिन दो रोटी दो फोटो वाली योजना से जरूर अपनी इज्जत के नीलाम होने के डर से मर जाएगा। पता नहीं कितने परिवार आज भी ऐसे हैं जो अपने घरों में आज भी भूखे सो जाते हैं साहब जहां पर 500 लोग हैं वहां 50 या 100 पैकेट बांट कर फोटो खिंचवा ली जाती हैं बाकी गरीब ऐसे ही अपने घरों में मायूस चले जाते हैं। यह कहां का न्याय है साहब! सरकार प्रशासन को जिम्मेदारी देती है पर प्रशासन के पास जनता को सुनने का समय नहीं है किसी तरह से जनता की प्रशासन ने सुन भी ली तो सिर्फ झूठा आश्वासन देकर टाल दिया जाता है कोरोना वायरस से कम अब हमारे देश में भूख से मरने वालों की संख्या ज्यादा बढ़ेगी। साहब सूत्रों से ऐसा ज्ञात होता है कि एक तरफ मौजूदा सरकार कोई भूखा ना सोएगा ऐसी हवा हवाई शब्दों का या यूं कहें नारों का परचम बुलंद करती है और प्रशासन को आदेश देती है लोगों के घरों तक जाकर उनको राशन खाना उपलब्ध कराएं और प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश देती है कि इमरजेंसी नंबर व ट्विटर जैसी सेवाओं पर यदि जनता द्वारा किसी भी तरह की सहायता मांगी जाए विशेष रूप से खाना या राशन की सहायता अवश्य की जाए । लेकिन साहब जहां पर 500 लोग हैं वहां पर चंद लोगों को सहायता देकर शासन प्रशासन के अधिकारी फोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया के किंग बन जाते हैं या वाहवाही लूटते हैं लेकिन साहब सवाल यह उठता है जिस क्षेत्र में जिन लोगों की मदद की जाती है उनके अलावा जो परिवार गुजर-बसर कर रहे हैं क्या वह इंसान नहीं है ऐसे में उन्हीं क्षेत्रों में कुछ सोशल एनजीओ या संस्थाओं में वहां के लोग एक आदमी को दो चार लोग मिलकर रोटी देते हैं और फोटो भी खिंचवाते हैं उसके बाद वह फोटो सोशल मीडिया पर खूब धड़ल्ले से वायरल किया जाता है ऐसे में उन गरीबों की इज्जत का जनाजा निकाल दिया जाता है। ऐसे में साहब गरीब भूख और कोरोना से मरे या ना मरे  बेचारा जिल्लत से जरूर मर जाएगा।
कैसी फितरत हुई देखो इंसान से इंसान की 
 यह कैसी तस्वीर बना दी राम तुमने हिंदुस्तान की’
भविष्य में यह शेर जरूर पढा जाएगा
 रोटी के चंद टुकड़े देकर गरीबो की फोटो खींच कर अपनो ने मजाक बनाया गैरो में कहां दम था बस यही कहलें कि इन गरीबो पर कोरोना से पनपे फोटो खींचने वाले अमीरो का सितम था।


2 comments:

Monis sarks said...

bhot hi khoobsoorti se poor baat likh Di

Unknown said...

Nice story

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