Sunday, March 1, 2020

उपराष्ट्रपति ने युवाओं से बदलाव के वाहक बनने का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने युवाओं को बदलाव का वाहक बनने और अशिक्षा, आर्थिक असमानता और जाति, पंथ या लिंग के आधार पर सामाजिक भेदभाव जैसी चुनौतियों को दूर करने का नेतृत्व करने का आह्वान किया।


भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के छात्रों को एक्स्ट्रा म्यूरल लेक्चर श्रृंखला के जरिए "भारत 2020 से 2030: दशक के लिए एक विजन," विषय पर संबोधित करते हुए श्री नायडू ने गलत सूचना या नफरत भरे संदेशों को फैलाने के लिए गैर-जिम्मेदाराना तरीके से प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की बढ़ती प्रवृति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि समाज में अच्छाई को बढ़ावा देने वाला समाज का नैतिक घेरा अपनी प्रासंगिकता खो रहा है।


कृषि क्षेत्र की ओर वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और भावी मार्ग दर्शकों का तुरंत ध्यान आकर्षित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे प्रयोगशालाओं से प्राप्त नए तथ्यों का खेतीबाड़ी में इस्तेमाल करने के लिए नियमित रुप से किसानों और कृषि विज्ञान केन्द्रों के साथ बातचीत करें। उन्होंने कृषि को अधिक व्यवहार्य, टिकाऊ और लाभदायक बनाने के लिए आईआईटी जैसे प्रमुख संस्थानों को नए विचारों के साथ आगे आने का सुझाव दिया।


ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में कृषि की भूमिका और राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसके योगदान की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में ही उपजे अन्न से खाद्य सुरक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए और साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी लोगों को प्रोटीन युक्त भोजन मिले।


उपराष्ट्रपति ने देश के सभी शोध संस्थानों को कृषि को लाभदायक और टिकाऊ बनाने पर ध्यान केंद्रित करने और यथार्थवादी, किफायती और कुशल समाधानों के साथ आगे आने को कहा है। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को किसानों के साथ मिलकर काम करने के लिए कहा ताकि किसानों के जीवन स्तर में सुधार के लिए नए समाधान विकसित किए जा सकें।


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दिए संदेश ‘गांवों की ओर लौटो’ का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण क्षेत्रों की ओर विशेष ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने युवाओं से कहा कि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सहज रुझान विकसित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा की जाती है या ग्रामीण किसानों और कारीगरों को नुकसान होता है तो ऐसे में हम समावेशी विकास नहीं कर सकते हैं।


श्री नायडू ने बढ़ते शहरी-ग्रामीण विभाजन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार के बारे में बेहतर अवसरों के लिए लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे हालात से निपटने के लिए उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाओं का निर्माण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए ऐसे अवसर पैदा किए जाएं कि वे अपने दम पर खड़े हो सकें। उन्होंने सभी भावी इंजीनियरों से शहरी क्षेत्रों को और अधिक जीवंत और टिकाऊ बनाने के तरीकों और साधनों का पता लगाने के लिए कहा है।


उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन के बाद सवाल-जवाब सत्र के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों को बदलने के लिए उनके विचारों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि कनेक्टीविटी चाहे वह परिवहन हो या तकनीकी, ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने किसानों के लिए  कोल्ड स्टोरेज जैसी बुनियादी सुविधाएं सृजित करने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देने का भी आह्वान किया।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि भीड़भाड़ और प्रदूषण के कारण शहर अब रहने लायक नहीं रह गए हैं। यहां के जलस्रोत दूषित हो रहे हैं और प्राकृतिक संसाधन विचारहीन और लापरवाही पूर्ण दोहन के कारण लगातार घट रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने इच्छा जताई की युवा पीढ़ी स्वच्छ भारत सुनिश्चित करने के रास्ते तलाशें।


उपराष्ट्रपति चाहते हैं कि युवा वर्ग किफायती एवं स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने, जिम्मेदारीपूर्वक खपत एवं उत्पादन को प्रोत्साहित करने और जलवायु कार्य की दिशा में ठोस कदम उठाने के तरीके तलाशे।


उपराष्ट्रपति ने भारत के सदियों पुराने सभ्यतागत मूल्यों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो इसकी देखभाल और हिस्सेदारी के मूल दर्शन पर आधारित है। वे चाहते हैं कि हर कोई एक बेहतर इंसान बने, जो अपने साथी की परवाह करे और समाज के कल्याण में अपना योगदान दे।


श्री नायडू ने कहा कि विभिन्न विषयों को एकीकृत करते हुए शिक्षा को समग्र होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा किसी भी राष्ट्र की प्रगति का एक शक्तिशाली निर्धारक है। उपराष्ट्रपति ने गुणवत्ता, पहुंच, सामर्थ्य, समावेशिता, इक्विटी और लैंगिक समानता के महत्वपूर्ण आयामों के साथ शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि पचास प्रतिशत आबादी वाली महिलाओं को राष्ट्र की विकासात्मक प्रक्रिया में बराबर का भागीदार बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बालिकाओं को शिक्षित करना महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में पहला कदम है।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि जीडीपी के संदर्भ में मात्रात्मक विकास केवल तभी सार्थक है जब हम हर नागरिक को भागीदार, हितधारक और विकास प्रक्रिया का लाभार्थी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास के इस युग में सरकार का मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' वास्तव में एक आह्वान है।


इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने आईआईटी, मद्रास परिसर में दो घंटे से अधिक समय बिताया और छात्रों के साथ व्यापक बातचीत की, जिस दौरान उन्होंने व्यापक विषयों पर छात्रों के सवालों के जवाब दिए।


इस कार्यक्रम में छात्रों और निकाय सदस्यों के साथ ही तमिलनाडु के मत्स्य पालन, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार मंत्री श्री डी. जय कुमार, आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. भास्कर राममूर्ति और आईआईटी मद्रास के डीन (छात्र) प्रो. एम. एस. शिवकुमार भी मौजूद थे।



No comments:

Post a Comment