आईसीजीएस वरद के कमीशनिंग समारोह में श्री मनसुख मांडविया को 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया गया। उन्होंने भारतीय तटरक्षक बल की कोशिशों और उद्यमों की सराहना की, उन्हें बधाई दी और उनकी प्रगति की कामना की।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री मांडविया ने कहा, “जहाजरानी मंत्रालय भारतीय तटरक्षक बल के साथ करीबी समन्वय में काम कर रहा है ताकि राष्ट्र के समुद्री हितों और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सहयोगी प्रयास किए जा सकें। भारत के तटरक्षक जहाजों को लंगर डालने की जगह देने को और ढांचागत ज़रूरतों को सभी भारतीय बंदरगाहों पर प्राथमिकता दी जाएगी।”
आईसीजीएस वरद का शुभारंभ जहाजों के आईसीजीएस बेड़े में बढ़ोतरी करेगा, जो भारतीय समुद्री सीमाओं की तटीय सुरक्षा के लिए निगरानी और निरंतर सतर्कता में योगदान देगा।
2100 टन के सकल भार के साथ कमीशन हुआ नया आईसीजीएस वरद 98 मीटर लंबा है और 15 मीटर चौड़ा है। इस पोत की सहनशक्ति 5000 समुद्री मील है और इसकी अधिकतम गति 26 समुद्री मील है। इस जहाज को 9000 किलोवाट के 2 डीजल चालित इंजनों द्वारा संचालित किया जाता है, जिसमें निम्न स्तर की ईंधन खपत होती है, ऊंचा टीबीओ होता है और ये आईएमओ टियर-2 मानदंडों का अनुपालन करता है। इस जहाज को एक सीआरएन-91 और दो 12.7 मिमी की बंदूकों से लैस किया जाएगा और ये एक इंटीग्रल ट्विन इंजन हेलीकाप्टर को ले जाने में सक्षम होगा जो इसकी परिचालन, निगरानी, खोज और बचाव क्षमता को बढ़ाएगा।
इसे जहाज निर्माण उद्योग में एक तेज़ वृद्धि माना जा रहा है क्योंकि आईसीजीएस वरद को एलएंडटी द्वारा स्वदेशी रूप से बनाया गया है जो 'मेक इन इंडिया' के विजन में काफी योगदान देगा।
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