संगोष्ठी में रक्षा राज्यमंत्री श्री श्रीपद येशो नाइक, सेना प्रमुख जनरम एम एम नरवाने, उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी और रक्षा मंत्रालय सेना के तीनों अंगों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और अग्रणी थिंक टैंक और देश के अकादमिक संस्थानों के गणमान्य उपस्थित थे।
संगोष्ठी ने नए युग की युद्ध प्रणाली को परिभाषित करने वाले उभरते विचारों, दृष्टिकोणों पर विचार-विमर्श का मंच प्रदान किया। नए युग की युद्ध प्रणाली में स्वरूप के साथ – साथ युद्ध स्थल का स्वरूप बदल रहा है और लक्ष्य प्राप्ति के नए उपायों का उपयोग किया जा रहा है।
संगोष्ठी में मुख्य भाषण रक्षा राज्यमंत्री श्री श्रीपद येशो नाइक ने दिया। उन्होंने बदलती सुरक्षा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सशस्त्र बलों के व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चीफ-ऑफ-डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) तथा सैन्य कार्य विभाग (डीएमए) इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
अपने उद्घाटन भाषण में सेना प्रमुख ने कहा कि युद्ध की प्रकृति निरंतर है, लेकिन स्वरूप विकसित होता रहता है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के आने से सशस्त्र बलों को कुशल होने और निरंतर परिवर्तन के साथ रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सीडीएस के गठन से तीनों सेनाओं के बीच एकता की भावना मजबूत हुई है।
संगोष्ठी के पहले दिन दो सत्रों में विशेषज्ञों ने युद्ध प्रणाली विकास और बदलती परिस्थिति पर चर्चा की। विशेषज्ञों ने भविष्य के युद्ध लड़ने में उभरती प्रवृत्तियों तथा संभावनाओं की दृष्टि से सेना पर इसके प्रभाव को लेकर विचार-विमर्श किया। दूसरे सत्र में प्रौद्योगिक क्रांति-मौलिक चुनौती विषय पर चर्चा की गई। चर्चा में बहुपक्षीय कार्रवाइयों में इन्फॉरमेशन वारफेयर, साइबर तथा अंतरिक्ष युद्ध और एआई और रोबोटिक्स के प्रभाव पर चर्चा की गई। संगोष्ठी के दूसरे दिन ट्रांसफोरमेंशन इन बैटल स्पेसेज तथा हाइब्रिड/सब-कवेन्शनल वारफेयर विषय पर विचार किया जाएगा।
सेना प्रमुख ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर फील्डमार्शल मानेकशॉ लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया। प्रतियोगिता देश के युवाओं में रणनीतिक सोच को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित की गई।
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