सप्ताह के दौरान जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से देश भर में रक्त चाप, मधुमेह की जांच, डाक्टरों द्वारा निशुल्क चिकित्सा जांच और दवाओं का मुफ्त वितरण किया जा रहा है। स्वास्थ्य शिविरों में आने वाले लोगों को जन औषधि केन्द्रों में बेची जा रही रही दवाओं की गुणवत्ता और उनकी कीमतों के फायदे के बारे में जानकारी दी जा रही है।
जन औषधि सप्ताह के दूसरे दिन कल आईएमए चैप्टर के प्रमुख सिटी डाक्टरों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर एक कंटीन्यूएस मेडिकल एजुकेशन- सीएमई कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें जन औषधि केन्द्रों से मिलने वाली दवाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। डाक्टरों से कहा गया कि वे अन्य डाक्टरों को भी जन औषधि केन्द्रों की दवाओं के महत्व के बारे में समझाएं और मरीजों के लिए ज्यादा से ज्यादा ऐसी दवाएं लिखें।
‘ प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना’ भारत सरकार के औषध निर्माण विभाग की एक महती परियोजना है जो सस्ती दरों पर गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध कराने के अपने प्रयासों से बड़े स्तर पर आम जनता को लाभ पहुंचा रही है। इस समय देश में ऐसे औषधि केन्द्रों की संख्या बढ़कर 6200 से ज्यादा हो चुकी है और 700 जिलों को इस योजना के दायरे में लाया जा चुका है। वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान (फरवरी 2020) तक इन केन्द्रों से 383 करोड़ रूपए से ज्यादा की दवाएं बेची गईं । इनके औसत बाजार कीमतों में बेची जाने वाली दवाओं की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ता होने के कारण इससे आम जनता को करीब 2200 करोड़ रूपए से ज्यादा की बचत हुई।
यह योजना लगातार नियमित आय के माध्यम से स्वरोजगार का भी एक अच्छा अवसर प्रदान कर रही है।
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