समिति ने अपनी रिपोर्ट में, कहा है कि एपीआई का वर्तमान स्टॉक फार्मूले के आधार पर उसे उपयुक्त तरीके से तैयार करने और सिफारिशें देने के लिए 2 से 3 महीनों के लिए पर्याप्त हो सकता है। समिति ने आगे कहा कि जहां तक औषध सुरक्षा का प्रश्न है उसके लिए किसी को भी दहशत में आने की आवश्यकता नहीं है।
समिति की सिफारिशों के आधार पर, विभाग ने एपीआई की पर्याप्त आपूर्ति और बाजार में किफायती मूल्यों पर फार्मूले के आधार पर उसे तैयार करने और काला बाजारी, अवैध जमाखोरी, देश में कृत्रिम कमी को रोकने के लिए राष्ट्रीय औषध मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए), भारत के औषध महानियंत्रक (डीसीजीआई) और राज्य सरकारों को आवश्यक निर्देश जारी किए है एनपीपीए ने राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वे एपीआई के उत्पादन और उसकी उपलब्धता के साथ-साथ फार्मूले के आधार पर उसे तैयार करने पर कड़ी नज़र रखें ताकि उनके राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में काला बाजारी और जमाखोरी रोकी जा सके। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि सीलिंग मूल्यों का पालन करने/अनुसूचित/गैर-अनुसूचित फार्मूलों के आधार पर मूल्यों में मुनासिब वृद्धि के संबंध में औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश 2013 का उल्लंघन न हो। इस पत्र की प्रतियां प्रधान सचिव स्वास्थ्य और राज्य औषध नियंत्रकों को भी भेजी गई हैं। इस संबंध में, औषध विभाग ने डीजीएफटी को पत्र लिखा है कि वह 13 एपीआई के निर्यात और इन एपीआई का इस्तेमाल करके फार्मूले के आधार पर इसे तैयार करने पर रोक लगाए। इन एपीआई को प्रमुख तौर पर चीन के हूबेई प्रांत में तैयार किया गया है।
नवीनतम जानकारी के अनुसार, औषध सामग्री का निर्माण कर रही अधिकांश चीनी कम्पनियों (हूबेई प्रांत को छोड़कर) ने आंशिक रूप से काम करना शुरू कर दिया है और उम्मीद है कि ये मार्च के अंत तक पूरी तरह काम करने लगेंगी। चीन से एपीआई के निर्यात पर कोई रोक-टोक नहीं है। चीनी कम्पनियां भारत को निर्यात के लिए तैयार हैं, हांलाकि लॉजिस्टिक क्षेत्र ने अभी पूरी तरह काम करना शुरू नहीं किया गया है। सीडीएससीओ के बंदरगाह कार्यालयों में देखा गया है कि चीन से एपीआई का आयात किया जा रहा है। सीडीएससीओ के बंदरगाह कार्यालयों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एपीआई की 56 खेप का 26 और 27 फरवरी 2020 के दौरान आयात किया गया। 56 में से 40 खेप चीन से और शेष चीन के अलावा अन्य देशों से आई हैं।
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