Monday, March 9, 2020

 अपनेपन की पिचकारी

अपनेपन के रंगों से मन की पिचकारी भर दो।

अबके होली में तुम सबको एक रंग में भर दो।।

 

ना हिन्दू हो,ना कोई मुस्लिम,एक रंग में सबको रंग दो।

इस  होली  में  तुम  सबको  एक ही मजहब में रंग दो।।

 

एक बच्चे सा मन हो सबका,ना मन मे कोई भेदभाव हो।

इस होली में सबको सबसे गले लगाने का एक भाव हो।।

 

ना नीला,ना हरा गुलाबी प्यार भरे शब्दो का रंग बनाओ।

मिट्ठी बातों से फिर एक दूजे के गमो को अपना बनाओ।।

 

आओ इस होली पर पूरे भारत को एक रंग से भर दे।

प्रण करे हम सब ऐसा,सबका मजहब भारतवासी कर दे।।

 

No comments:

Post a Comment