श्री तोमर ने कहा कि महिला स्व-सहायता समूह (एसएचजी) गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम की रीढ़ हैं और कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभागों का पूरा ध्यान महिलाओं की मुक्ति की दिशा में ही अभिविन्यस्त है। उन्होंने कहा, “समुदाय व्यक्तियों से ज्यादा प्रभावशाली हो सकते हैं, ऐसे में समूचे ग्रामीण परिदृश्य में विकास की प्रक्रिया में परिवर्तनकारियों के रूप में एसएचजी की भूमिका महत्वपूर्ण है। ”
श्री तोमर ने कहा कि देशभर में 60.8 लाख एसएचजी छह करोड़ 73 लाख से ज्यादा महिलाओं को संघटित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “और ज्यादा महिलाओं को आजीविका पाने में समर्थ बनाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय की वर्ष 2022 तक कुल 75 लाख एसएचजी का सृजन करने की योजना है।”
श्री तोमर ने कहा कि सरकार सरल ऋण प्रवाह के लिए बैंकों को जोड़ने के द्वारा निधि उपलब्ध करा रही है और स्वयं सहायता समूह को आजीविका मिशन हेतु प्रशिक्षण दे रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बेहतर प्रदर्शन के लिए स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने हेतु पुरस्कारों का गठन किया है। महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए पिछले 6 वर्षो के दौरान स्वयं सहायता समूहों को 2.75 लाख करोड़ से अधिक ऋण प्रदान किया गया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत वार्षिक रूप से 5 करोड़ से अधिक लोगों को नियुक्त किया जाता है और मनरेगा के तहत कार्य बल में महिलाओं की 55 प्रतिशत की भागीदारी है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के तहत भी 4.66 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं और इस योजना के तहत और अधिक महिलाओं की भागीदारी हो रही है।
श्री तोमर ने कहा कि स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) का पुनर्गठन किया गया और दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना (डीएवाई)- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) में शामिल कर दिया गया। इस मिशन के तहत सरकार का लक्ष्य लगभग 10 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पहुंचना है। स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) ने महिलाओं को गौरव प्रदान किया है और देशभर में 9.5 करोड़ शौचालयों के निर्माण के साथ उनकी सुरक्षा बढ़ाई है।
श्री तोमर ने कहा कि सरकार न केवल महिलाओं और ग्रामीण आबादी की सहायता कर रही है बल्कि उनके उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य दिलाने के लिए गवर्नमेंट ई-मार्केट (जीईएम) प्लेस जैसे मंच भी उन्हें उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा ‘सरकार ने अपने कार्यालयों के लिए अनिवार्य बना दिया है कि पहले वह जीईएम से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करें और अगर वहां उपलब्ध न हो तो ही अन्य स्रोतों से खरीद करें।’
कार्यक्रम के दौरान, दिल्ली के अतिरिक्त, भोपाल, भुवनेश्वर, हैदराबाद, जयपुर, पटना एवं रांची में दूरदर्शन स्टूडियो में बैठी ग्रामीण महिला प्रतिभागियों ने मंत्री के साथ परस्पर बातचीत की। उन्होंने अपनी सफलता गाथाओं को साझा किया और बताया कि किस प्रकार स्वयं सहायता समूहों ने उन्हें आत्म निर्भर बनाने और परिवार की आय बढ़ाने में योगदान देने में सहायता की है। महिला प्रतिभागियों में पशु सखी, कृषि सखी, बैंक सखी और पोषण सखी सहित कई सामुदयिक स्रोत व्यक्ति (सीआरपी) शामिल थे।
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