केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2020 आज राज्य सभा में पारित होने के साथ ही संसद में पारित हो गया। यह विधेयक लोकसभा में पहले ही 12 दिसंबर, 2019 को पारित हो चुका है। इस विधेयक के पारित होने के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने विधेयक को अपना व्यापक समर्थन देने के लिए सांसदों का धन्यवाद किया। इस विधेयक से (i) राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली, (ii) श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली, और (iii) राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति अब केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों में परिवर्तित हो जाएंगे।
- श्री निशंक ने कहा कि इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद इन तीनों विश्वविद्यालयों को न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में बेहतर ढंग से संस्कृत भाषा के ज्ञान का प्रसार करने के लिए और अधिक अवसर प्राप्त होंगे। मंत्री ने कहा कि संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है और इसके साथ ही ज्ञान की भाषा भी है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने संस्कृत भाषा पर अपनी निगाहें जमा रखी हैं। यही कारण है कि संस्कृत भाषा न केवल भारत के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में, बल्कि विश्वभर के शीर्ष विश्वविद्यालयों में भी पढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृत संपूर्ण मानवता के लिए भारत की एक अनुपम भेंट है और यह भाषा वैश्विक स्तर पर भारत का गौरव बढ़ाएगी। मंत्री ने संस्कृत भाषा पर कुछ प्रख्यात हस्तियों जैसे कि महान वैज्ञानिक सर सी.वी. रमन, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और जर्मनी में जन्मे भाषाविद मैक्स मूलर के विचारों को उद्धृत किया।
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