Thursday, March 19, 2020

निर्दोष को जेल,भ्रष्टाचारी को तहसील प्रशासन का खुला संरक्षण





शाहाबाद(हरदोई)।(अयोध्या टाइम्स) तहसील के कंप्यूटर कक्ष में काम करने वाले एक प्राइवेट कर्मी ने खतौनी में बंधक जमीन को बंधक मुक्त कर किसान को खतौनी जारी कर दी।किसान रामवीर की शिकायत पर एस डी एम ने आरोपी दलाल पर तो कार्यवाही की परंतु कम्प्यूटर कक्ष में तैनात प्राइवेट कर्मी धनंजय दीक्षित पर मेहरबानी दिखाई देते हुए कोई कार्यवाही नही की। पीड़ित किसान रामवीर ने बताया कि उसने राजकुमार पुत्र रामचरण निवासी अल्लाहपुर इबनेजई के माध्यम से कम्प्यूटर कक्ष में तैनात प्राइवेट कर्मी धनंजय दीक्षित को 20 हजार दिये थे।कम्प्यूटर कक्ष में तैनात प्राइवेट कर्मी ने उसे खतौनी तो  निकाल कर दी परंतु खतौनी पूर्ववत ही रही। किसान ने लोन के लिये शाखा प्रबन्धक को खतौनी दी तो उसे बताया गया कि उसकी जमीन तो बंधक है।उसे लोन नही दिया जा सकता।जिससे किसान का सपना चकनाचूर हो गया।20 हजार मुफ्तखोरी में चले जाने के कारण किसान ने एस डी एम से इसकी शिकायत की।एस डी एम ने आरोपी दलाल और प्राइवेट कर्मी धनंजय से पूछताछ की।मामला गम्भीर होने के कारण एस डी एम ने आरोपी राजकुमार को पुलिस के सुपुर्द कर दिया।पुलिस ने शांतिभंग की कार्यवाही करते हुये एस डी एम कोर्ट में पेश किया।उन्होंने उसे जेल भेज दिया।प्राइवेट कर्मी ने कंप्यूटरीकृत खतौनी में फर्जीवाड़ा करते हुए इंतखाब को बंधक मुक्त कर भूमि स्वामी को जारी कर दिया। एसडीएम ने कंप्यूटरीकृत कार्यालय में तैनात कर्मी का बचाव करते हुये राजकुमार पर कार्रवाई की।बताया गया कि एसडीएम ने उक्त कर्मी को 5 हजार प्रति माह पर रखा है। अधिवक्ता संघ के महामंत्री अमितेश मिश्र ने एस डी एम की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए बताया कि तहसील में इंतखाब ही नही अन्य कार्य भी फर्जी तरीके से किये जाते हैं।दोषी धनंजय दीक्षित को छोड़कर निर्दोष को जेल भेजना क्या न्याय संगत है।इस प्रकरण से उच्चाधिकारियों को अवगत कराकर उचित कार्यवाही कराई जाएगी।यहां उल्लेखनीय है कि फर्जीवाड़े में धारा 420 के अंतर्गत दोषी प्राइवेट कर्मियों पर तहसीलदार अवशेश कुमार या एस डी एम अतुल प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा अभियोग क्यों नहीं दर्ज कराया गया।एक प्राइवेट कर्मी राजकुमार को सिर्फ शांति भंग के आरोप जेल किस आधार पर भेजा गया।


 

 



 



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